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________________ वाक्य 1. द्रव्यस्य दानेन किं फलं भवति-द्रव्य के दान से क्या फल होता है ? 2. द्रव्यस्य दानेन पुण्यं भवति-द्रव्य के दान से पुण्य होता है। 3. शरीरस्य पोषणाय अन्नमस्ति'-शरीर की पुष्टि के लिए अन्न है। 4. वस्त्रस्य प्रक्षालनाय शुद्धं जलं तत्र अस्ति-कपड़ा धोने के लिए शुद्ध जल वहाँ 5. पत्रस्य लेखनाय मसीपात्रं मह्यं देहि-पत्र लिखने के लिए मुझे दवात दो। 6. कन्दुकः क्रीडनाय भवति-गेंद खेलने के लिए होती है। 7. नगरात् नगरं तस्य भ्रमणं सदा भवति-(एक) शहर से (दूसरे) शहर सदा उसका भ्रमण होता रहता है। 8. वस्त्रेण शीतात् निवारणं भवति-कपड़े से सर्दी से बचाव होता है। 9. तव भोजने करपट्टिका नास्ति'-तेरे भोजन में फुलका नहीं है। 10. मम भोजने ओदनमस्ति व्यञ्जनमपि अस्ति-मेरे भोजन में भात है और चटनी भी है। 11. इदानीं तत्र तस्य गमनं वरम्-अब वहाँ उसका जाना अच्छा है। अकारान्त नपुंसकलिंग 'ज्ञान' शब्द 1. प्रथमा ज्ञानम् ज्ञान 2. द्वितीया ज्ञानम् ज्ञान को 3. तृतीया ज्ञानेन ज्ञान ने (से) 4. चतुर्थी ज्ञानाय ज्ञान के लिए 5. पञ्चमी ज्ञानात् ज्ञान से 6. षष्ठी ज्ञानस्य ज्ञान का 7. सप्तमी ज्ञाने ज्ञान में सम्बोधन हे.ज्ञान (हे) ज्ञान अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द अग्रम्-नोक। अंजनम्-कज्जल, सुरमा। पाटवम्-चंचलता, चतुराई। अभिवादनम्-नमन। अवलोकनम्-देखना। फलम्-फल। आरोग्यम्-स्वास्थ्य। स्थानम्-जगह । उन्मीलनम्-खोलना। कार्यम्-कृत्य, काम। गानम्-गाना ।घ्राणम्-नाक। 1. अन्नम् + अस्ति। 2. न + अस्ति। 3. ओदनम् + अस्ति। 4. व्यञ्जनम् + अपि। 113/
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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