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आर्तध्यान (६) ३. आतंक (सद्योघाती रोग) के संयोग से संयुक्त होने पर उसके वियोग की चिंता में लीन हो जाना।
४. प्रीतिकर कामभोग के संयोग से संयुक्त होने पर उसके वियोग न होने की चिंता में लीन हो जाना।
आतंक-संपओग-संपउत्ते, तस्स विप्पओग-सतिसमण्णागते यावि भवति। __ परिजुसित-काम-भोग-संपओग-संपउत्ते, तस्स अविप्पओगसति-समण्णागते यावि भवति।
ठाणं ४.६१
२६ अगस्त २००६
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