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आर्तध्यान ( ५ )
स्थानांग सूत्र में आर्तध्यान के चार प्रकार निर्दिष्ट हैं । उनमें निदान का उल्लेख नहीं है ।
१. अमनोज्ञ संयोग से संयुक्त होने पर उस ( अमनोज्ञ विषय) के वियोग की चिंता में लीन हो जाना ।
२. मनोज्ञ संयोग से संयुक्त होने पर उस (मनोज्ञ विषय) के वियोग न होने की चिंता में लीन हो जाना ।
अमणुण्ण-संपओग-संपउत्ते,
समण्णागते यावि भवति ।
मणुण्ण - संप ओग - संपउत्ते, समागते यावि भवति ।
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२५ अगस्त
२००६
२६३
तस्स
तस्य
विप्पओग-संति
अविप्पओगसति
ठाणं ४.६१
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