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आर्तध्यान (७) आर्तध्यान संसार रूपी वृक्ष का बीज है। संसार जन्ममरण की परम्परा के तीन हेतु हैं
१. राग २. द्वेष ३. मोह
आर्तध्यान में ये तीनों होते हैं। इसलिए इसे संसार-वृक्ष का बीज कहा गया है। ____ आर्तध्यान करनेवाले व्यक्ति में मुख्यतया तीन लेश्याएं होती हैं, किन्तु वे बहुत संक्लिष्ट नहीं होती।
रागो दोसो मोहो य जेण संसारहेतवो भणिया। अट्टम्मि य ते तिण्णि वि तो तं संसारतरुबीजं ।। कावोय-नील-कालालेस्साओ णाइसंकिलिट्ठाओ। अट्टज्झाणोवगयस्स कम्मपरिणामजणिआओ।।
झाणज्झयणं १३,१४
२७ अगस्त २००६