________________
५२
वाक्यरचना बोध
ख-(अजादेः २।३।२) अज आदि शब्दों से आप् प्रत्यय होता है । अजा, एडका, अश्वा, कोकिला, चटका, मूषिका, बाला, वत्सा, मंदा, ज्येष्ठा, कनिष्ठा, मध्यमा, कन्या।
ग-(अतइदनित्काप्ययत्तक्षिपकादीनाम् २।३।९५) यत्, तत्, क्षिपका आदि शब्दों को छोड़कर अकारान्त नाम से इकार हो जाता है, काप् (क+आप्) प्रत्यय आगे हो तो । क प्रत्यय ऐसा हो जिसका अ इत् नहीं गया हो। कारिका, पाचिका, पाठिका, मुण्डिका ।
नियम ७७ -(ह्रस्वश्चाभाषितपुंस्कात् २।३।१०४) जो शब्द पुल्लिग में कहे गए हों उन्हें भाषितस्क कहते हैं। अभाषितपुंस्क शब्द से परे आप् को इ और ह्रस्व विकल्प से होता है, अनित् काप् परे हो तो। गङ्गिका, गङ्गका, गङ्गाका । परमखट्विका, परमखट्वका, परमखट्वाका।
नियम ७८- (नृतोऽस्वस्रादेः २।३।७) नकारान्त और (स्वस, तिसृ, चतसृ, ननान्द, दुहित, यात, मातृ इन सात शब्दों को छोड़कर) ऋकारान्त शब्दों से ईप् प्रत्यय होता है । दण्डिनी, शुनी। की, ही।
नियम ७६ क- (उदृदितोऽधातोः २।३।८) उकार और ऋकार इत् जाने वाली धातुओं को छोड़कर, उकार और ऋकार इत् जाने वाले प्रत्ययों के शब्द या अप्रत्ययों के शब्द से स्त्रीलिंग में ईप् प्रत्यय होता है। भवती, गोमती, विदुषी, पचन्ती, पठन्ती।
ख--(मनो डाब् वा २।३।४) मन् अंत वाले शब्दों से आप् प्रत्यय होता है । सीमा।
नियम ८०- (अनो बहुब्रीहेः २।३।५) बहुव्रीहि समास होने पर अन् अंत वाले शब्दों से डाप् प्रत्यय विकल्प से होता है । सुपर्वा ।
नियम ८१- (उपधालोपिनो वा २।३।१४) बहुव्रीहिसमास होने पर अन् अंत वाले शब्दों की उपधा का लोप होने पर ईप् प्रत्यय विकल्प से होता है, आप् प्रत्यय भी । बहुराज्ञी । बहुराजा, बहुराजानौ, बहुराजानः । बहुराजा; बहुराजे, बहुराजाः।
नियम ८२- (अञ्च: २।३।६) अञ्चु उत्तरपद में हो तो ईप् प्रत्यय होता है । प्राची, प्रतीची।
नियम ८३-(मुख्यात् षिट्टिदणञ्नस्नोयेकणीकण्क्वरपः २।३।२०) ए अनुबन्ध और ट् अनुबन्ध प्रत्ययान्त शब्द तथा अण, अन्, नन्, स्नन्, एय, एयण, एयञ्, इकण, ईकण, क्वरप्-इन प्रत्यायन्त शब्दों से ईप् प्रत्यय होता है । षाक-वराकी, भिक्षाकी । चरट- कुरुचरी, मद्रचरी। अण्-तपोऽस्या अस्तीति तापसी । अञ्--विदस्य अपत्यं स्त्री बैदी । नञ्-स्त्रैणी । स्नञ्पौंस्नी। एयण-वैनतेयी। एयञ्–शैलेयी। इकण-अक्षिकी। ईकण्शाक्तीकी, याष्टीकी । क्वरप्–सृत्वरी, जित्वरी।