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लिंगबोध (१)
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नियम ४६-जिन शब्दों के उपधा में क, ट, ण, थ, प, भ; म, य, र; ष, स हो वे पुल्लिग होते हैं।
क-आनक:-दुंदुभिः । ट-नट:-नट । ण-गुण:-गुण । थ–निशीथः--आधीरात । प–क्षप:--लताओं का समूह । भ-दर्भः-दूब । म-संग्राम:-युद्ध । य-भागधेयः-हिस्सेदार। र-निर्दर:-गुफा । ष - गवाक्षः-झरोखा । स-कर्पास:-चोला।
नियम ५०-जिन शब्दों के अन्त में स्, न, उ और अन्त शब्द हों वे शब्द पुल्लिग होते हैं।
स्-चंद्रमस्-(चंद्रमा)। न्--ग्रावन् == (पत्थर)। उ-मन्तुः(अपराधे) । अन्त ---पर्यन्त - (अवसान) ।
. स्त्रीलिंग नियम ५१–मातृवाची नाम स्त्रीलिंग होते हैं । जैसे-हस्तिनी= हथिनी। अश्वा = घोडी। मत्सी मच्छली ।
नियम ५२-तिथिवाची, नदीवाची, बुद्धिवाची, पृथ्वीवाची, लक्ष्मीवाची नाम स्त्रीलिंगी होते हैं। जैसे--
तिथिवाची-प्रतिपदा (एकम), पूर्णिमा (पूनम), अमावस्या (अमावस)।
नदीवाची-निम्नगा, सरित्, तटिनी, कूलंकषा। बुद्धिवाची-मनीषा, बुद्धिः, मतिः, धिषणा । पृथ्वीवाची-वसुधा, उर्वी, वसुंधरा, रत्नगर्भा । लक्ष्मीवाची-रमा, कमला, इन्दिरा ।
नियम ५३–प्राणियों के अपने अंगवाची इकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे-गोधिः (ललाट), कटिः (कमर), पालिः (कान की पाल)।
नियम ५४-तल प्रत्यायान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं, तल में ल इत् जाता है। स्त्रीलिंग होने के कारण आप् प्रत्यय आता है जिसमें 'आ' शेष रहता है । त और आ मिलकर ता बन जाता है। जैसे-जनता, सुंदरता, मधुरता; साधुता इत्यादि। कुछ स्त्रीवाची शब्द पुल्लिंग भी होते हैं । जैसे-दारा।
संधिविचार नियम ५५- (मोनुस्वारयमौ हसे सवर्णी १२३॥१८) पद के अन्त में मकार हो उससे परे हस हो तो मकार को अनुस्वार और यम दोनों हो जाते