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वाक्यरचना बोध
हैं । आगे जो हस हो उसका सवर्ण यम होता है । त्वं करोषि, त्वङ्करोषि । त्वं चरसि, त्वञ्चरसि । त्वं टीकसे, त्वण्टीकसे । त्वं तरसि, त्वन्तरसि । त्वं पचसि, त्वम्पचसि । अहंयुः अहय्यु:, त्वं लोकः त्वल्लोकः । संवत्सरः संवत्सरः।
नियम ५६–(म्नां झपे नमः सवर्णोऽपदान्ते ११३।३४) अपदान्त में मकार और नकार हो, आगे झप हो तो उनको (म, न को) झप का सवणिक बम हो जाता है, सब कार्य करने के बाद । गन्ता, शङ्किता, अञ्चिता, कुण्ठिता, नन्दिता, कम्पिता।
__नियम ५७– (हशसेऽनुस्वारः ११३।३५) अपदान्त में मकार और नकार हो, सामने हकार और शस हो तो मकार, नकार को सब कार्य करने के बाद अनुस्वार हो जाता है। स्वनड्वांहि, दंशः, यशांसि, पुंसि, पयांसि।
नियम ५८-(नोऽप्रशान: सक् छतेऽमपरेऽनुनासिकश्च वा १।३।१३) प्रशान् शब्द को छोड़कर न् अन्तवाले शब्दों को सक् का आगम हो जाता है छत परे हो और उससे आगे अम प्रत्याहार हो तो। न् का अनुनासिक और सानुनासिक हो जाता है। जैसे-भवान्+तनोति =भवाँस्तनोति, भवांस्तनोति । भवाँस्छादयति, भवांस्छादयति । भवाँष्टीकते, भवांष्टीकते ।
प्रयोगवाक्य तस्य गहे गौरस्ति । ग्लौः स्वच्छोऽस्ति । कटं क: करोति ? सूद: समये भोजनं पाचयति । भूपस्य कोषे प्रचुरं धनं अस्ति । तन्तुवायः कुत्र अस्ति ? अहं संस्कृतं पठामि । बालिका तकति । नार्यः नटन्ति । शिशुः बहिर्गन्तुं हठति । वयं न शठामः । शीला त्वां कि अगदत् ? शब्दाः नदन्ति । हिमाद्रिः वायुना न चलति । अग्निः ज्वलति ।
संस्कृत में अनुवाद करो इस गाय का मालिक कौन है ? चन्द्रमा आकाश में है ? इस चटाई का कर्ता रमेश है। रसोइया क्या करता है ? राजा का खजाना समृद्ध है। जुलाहे ने यह क्या किया ? दुकानदार को नम्र होना चाहिए । कुली उसका भार ले जाता है। शिकारी अभी तक क्यों नहीं आया ? पत्थर में भगवान् नहीं है। उसका पैसा कौन ले गया ? मच्छरों का यहां क्या काम है ? तुम क्या पढ़ते हो ? शीला क्यों नाचती थी? द्रौपदी क्यों हंसी ? रमेश क्यों हठ करता है ? जो सरल होता है वह माया नहीं करता । बहिन ने क्या कहा ? दादी क्यों कांपी ? कैकयी को मंथरा ने क्या कहा?
अभ्यास १. स्त्रीलिंग शब्दों की क्या पहचान है ? नियम ५१, ५२ को स्पष्ट करो।