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पाठ १२ : लिंगबोध (१)
शब्दसंग्रह गौः (गाय) । ग्लोः (चन्द्रमा) । कट: (चटाई)। सूदः (रसोइया) । कोषः (खजाना) । तन्तुवायः (जुलाहा) । आपणिकः (दुकानदार) । हस्तिपकः (महावत)। भारकः (कुली) । आखेटकः (शिकारी। प्रस्तरः (पत्थर)। मशकः (मच्छर) । कार्षापणः (पैसा) । कुड्मलः (कली) । बुद्धिः (बुद्धि) । मतिः (बुद्धि)। भूमिः (भूमि)। पङ्क्तिः (पंक्ति) । औषधिः (दवा) । श्रेणिः (कक्षा) । प्रीतिः (प्रेम) । अनुरक्तिः (अनुराग)।
ny-10-04u.i• Aun१६ -- on(तकति) हंसना । णट-नृती (नटति) नाचना । शठ-कैतवे (शठति) कपट करना। गद-व्यक्तायां वाचि (गदति) बोलना । णद-अव्यक्ते शब्दे (नदति) अव्यक्त शब्द करना । रद-विलेखने (रदति) खोदना, उखाडना । चल-कम्पने (चलति) कम्पित होना । ज्वल-दीप्ती (ज्वलति) जलना।
अव्यय-अलं (वस) । किं (क्या) । न (नहीं) । च (और) । पुनः (फिर) । एकदा (एक दिन)।
सीता और नदी शब्दों के रूप याद करो। (देखें परिशिष्ट १ संख्या १७, १९) स्त्रीलिंग में आप अन्तवाले शब्द सीता की तरह और ईकारान्त शब्द नदी की तरह चलते हैं।
पठ धातु के रूप याद करो। देखें (परिशिष्ट २ संख्या १५) तक से लेकर ज्वल तक के रूप पठ धातु की तरह चलते हैं।
लिंगबोध ___ संस्कृत में तीन लिंग होते हैं-पुरुषलिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसक लिंग । जिस प्रकार विभक्ति और वचन के बिना नाम का प्रयोग नहीं होता उसी प्रकार लिंग के बिना भी उसका प्रयोग नहीं होता। इसलिए लिंग का ज्ञान भी आवश्यक है । हिन्दी में पुरुषवाची शब्द पुल्लिग और स्त्रीवाची रा.५ Intein ९ ९॥ 111 ९ १९ तत्त न एता सरल नियम नहा है। कई शब्द केवल पुल्लिग होते हैं, कई शब्द केवल स्त्रीलिंग और कई शब्द केवल नपुंसकलिंग होते हैं। कई शब्द त्रिलिंगी भी होते हैं । प्रस्तुत पाठ में पुल्लिग और स्त्रीलिंग शब्दों के पहचान के नियम बताए जाएंगें। इससे अगले पाठ में नपुंसक और त्रिलिंगी शब्दो के पहचान के नियम बताए जाएंगे।