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पुरुष और वचन
तो क्रिया में भी बहुवचन आता है । जैसे—
सः गच्छति - वह जाता है । तो गच्छतः - वे दोनों जाते हैं ।
ते गच्छन्ति वे सब जाते हैं । त्वं गच्छसि – तू जाता है । युवां गच्छथः – तुम दोनों जाते हो । यूयं गच्छथ - तुम सब जाते हो । अहं गच्छामि - मैं जाता हूं ।
आवां गच्छावः— हम दोनों जाते हैं ।
वयं गच्छाम: - हम सब जाते हैं ।
इन तीनों पुरुषों के अतिरिक्त जितने भी नाम हैं उनके साथ अन्य - पुरुष की क्रिया आती है । जैसे-
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रामः गच्छति - राम जाता है ।
वृक्षः अस्ति - वृक्ष है । अश्वः गच्छति — घोडा जाता है ।
श्रीः वर्धते — लक्ष्मी बढती है ।
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संधिविचार
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नियम २०- ( एदैतोरयाय १|२|३) एकार और ऐकार के आगे स्वर होने पर एकार को अय् और ऐकार को आय् आदेश हो जाता है । जैसे— ने + अनम् नयनम् । नै + अक: = नायकः ।
नियम २१ - ( ओदौतोरवावौ १।२।४) ओकार और औकार के आगे स्वर होने पर ओकार को अव और ओकार को आव आदेश हो जाता है । जैसे - भो + अनम् भवनम् । पौ + अक: = पावकः ।
नियम २२- ( एदैतो रैत् १।२।१६ ) अवर्ण के आगे एकार और ऐकार होने पर अवर्ण सहित एकार और ऐकार को ऐकार हो जाता है । जैसे— तव + एषा - तवैषा । जिन + ऐश्वर्यम् = जिनैश्वर्यम् ।
नियम २३ - ( ओदौतोरौत् १।२।२२) अवर्ण के आगे ओकार और औकार होने पर अवर्ण सहित ओकार और औकार को औकार हो जाता है । जैसे - श्रमण + ओघः - श्रमणौघः । चैत्र + औत्कण्ठ्यम् = चैत्रौत्कण्ठ्यम् ।
प्रयोग वाक्य
सः पठति । तौ पठतः । ते पठन्ति । त्वं लिखसि । युवां लिखथः । यूयं लिखथ । अहं गच्छामि । आवां गच्छावः । वयं गच्छामः । अर्भकः लिखति । अर्भकौ पठथः । अर्भकाः गच्छन्ति । सर्वे दुग्धं पिबन्ति । उभौ तिष्ठतः । अन्यः