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विभक्तिबोध
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पर इनके अवर्ण को ऋण के ॠ सहित आर् हो जाता है । जैसे - + ऋणम् = प्रार्णम् । वसन + ऋणम् वसनार्णम् । कम्बल + ऋणम् - कम्बला - र्णम् । ऋण + ऋर्णम् = ऋणार्णम् । वत्सर + ऋणम् = वत्सरार्णम् । वत्सतर + ऋणम् =वत्सतरार्णम् ।
नियम १८- ( ऋत्युपसर्गस्य १।२।१६ ) ॠकार आदि वाली धातु परे होने पर उपसर्ग के अवर्ण को धातु के ॠ सहित आर् हो जाता है । जैसे - प्र + ऋच्छति = प्राच्छति ।
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नियम १६ - ( एदोतोऽतः पदान्ते १।२ । ३२ ) पदान्त में स्थित एत् और ओत् से आगे यदि 'अ' हो तो उसका लोप हो जाता है और 'अ' के स्थान पर 5 चिह्न लिखा जाता है । जैसे - ते + अत्र - तेऽत्र । पटो + अत्र = पटोऽत्र ।
अभ्यास
१. विभक्ति किसे कहते हैं ? वे कितनी हैं ?
२. विभक्तियों के चिह्न ( पहचान ) का सरल तरीका क्या है ?
३. अकार के आगे ऋण का ॠकार होने पर क्या बनता है तथा किन शब्दों से बनता है ?
४. उपसर्ग के अवर्ण को आर् कहां होता है ?
५. साधो --- अयम् — यहां सन्धि करने से क्या रूप बनेगा और किस नियम से बनेगा ?
६. संधि विच्छेद करो --
वसनार्णम्, ऋणार्णम्, कम्बलार्णम्, केऽत्र, लोकेऽस्मिन्, उपाच्छंति, पराच्छंति ।
७. संधि करो -
प्र + ऋणम्, वत्सर + ऋणम्, हरे + अव, अधीते + अधुना, अपवरके
+ अस्मिन्, विद्यालये + अस्मिन् प्र + ऋच्छति ।
८. निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप बताओ -
दूसरा, वह, तुम, जो, दोनों में एक, दो, सब । ६. जिन शब्द के रूप लिखो ।
१०. भू धातु के १० लकारों के रूप लिखो ।