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वाक्यरचना बोध होती है। इति ह अकरोत्, इति ह चकार। शश्वत् अकरोत्, शश्वत् चकार ।
नियम ५७६-(अविवक्षिते ४।४१६४) अनद्यतन परोक्ष की विवक्षा न करने से दिबादि विभक्ति होती है । अभवत् सगरः राजा।
नियम ५७७-(पुरादौ धादिर्वा ४।४।६५) अनद्यतनभूत परोक्ष (णबादि) अनद्यतनभूत अपरोक्ष (दिबादि) के अर्थ में पुरा आदि उपपद में हो तो द्यादि विभक्ति विकल्प से होती है। पक्ष में अपनी-अपनी विभक्ति होती है । यानि दिबादि में दिबादि, णबादि अर्थ में णबादि । अवात्सुः इह पुरा साधवः । अवसन् इह पुरा साधवः । ऊषुरिह पुरा छात्राः । तदा अभाषिष्ट राघवः, तदा अभाषत राघवः, बभाषे राघवस्तदा ।
प्रयोगवाक्य भवति स्म आचार्यः कालुः । निवसामो पुरा वयमत्र । लक्ष्मण ! किमभिजानासि इमौ नुपूरौ सीतायाः स्तः । नाहं नाट्यगृहं जगाम । अगमत् रामः लंकायाम् । स शश्वद् अवदत् । आगमन् इह पुरा साधवः । अवदत्, अवादीत्, उवाद वा स पुरा भाषणम् । स्फटिका मलिनं जलं विमलीकरोति । विजयां पीत्वा जनाः अनर्गलं लपन्ति । स्त्रीभ्यः कोकदंता रोचते । ते प्रतिदिनं पथिका: भुजते।
संस्कृत में अनुवाद करो रमा पितपापडा खाती है । सुरेन्द्र की मां प्रतिवर्ष पिपलामूल लेती है । सतीश को पोस्त अच्छा लगता है। यदि पानी को साफ करना है तो फिटकडी लाओ। होली में लोग भांग क्यों खाते हैं ? पिप्पल भूख को बढाती है। बच्चे को मुनक्का किसने दी ? कमला हाथ और पैरों में मेंहदी लगाती है। मोम गर्मी में पिघल जाता है। लाख का व्यापार जैन श्रावक के लिए वर्जनीय है।
विभक्त्यर्थ का प्रयोग करो महासती सीता और राम कब हुए थे ? इस कमरे में आचार्य श्री विराजे थे । यह हमारा छट्ठा जन्म है । जानते हो, हम दोनों कुलीन हैं । क्या मैं नींद में बोला था ? उसने क्या किया था ? राजा दिलीप हुए थे। सुनीला पहले इस मकान में रहती थी।
अभ्यास १. नीचे लिखे शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो
पुरा, स्म, शश्वत्, ह । २. तिबादि विभक्ति किसके योग में होती है ?