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पदव्यवस्थाप्रक्रिया (१)
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शत्रून् पराजयते । साधवः भोक्तुं प्रक्रमन्ते । श्यामः सीतामुपयच्छते। सा किं संपृच्छते । शिष्याः संप्रवदन्ते । गर्दभाः संप्रवदन्ति । मोहनः भोजनमव गिरते । रुग्णाप किरातकः न रोचते । ताम्रकूटं मा अद्धि। नस्यं मा जिघ्र । बालकाः जननी कोकिलाक्षान् याचन्ति ।
संस्कृत में अनुवाद करो चिरायता कडवा होता है । सुरेन्द्र की मां ने बाजार से जमालगोटा, जवाखार, जायफल, जावित्री, नागरमोथा, नीलाथोथा और नोसादर मंगवाया है । तमाखु नुकसानप्रद होता है। बच्चे तालमखाना खाते हैं । नसवार नहीं संघना चाहिए। तेजाब से वस्तु जल जाती है । धतूरे के फल नहीं होता। सुशीला यहां बैठती है। माली बाजार में क्या बेचता है ? शत्रु सेना को जीतता है । बालक आंगन में खेलता है । श्याम इस नगर में ठहरता है । वादी प्रतिवादी से विवाद करता है । तापस दुष्टों को श्राप देता है। साधक भोजन करना शुरू करता है। राजा कन्या को स्वीकार करता है । रमेश साधु के साथ जाता है। सूर्य तपता है । भेडें बोलती हैं।
अभ्यास १. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो..
उपतिष्ठते, उपयच्छते, संतिष्ठते, जानाति, अनुवदते, अवगिरते । २. नीचे लिखे रूपों का कारण बताते हुए शुद्धाशुद्धि करो।
शपति, शपते । उपतिष्ठति, उपतिष्ठते । विक्रामति, विक्रमते । जानीते, जानाति । विजयते, विजयति । निविशते, निविशति । संप्रवदन्ते, संप्रवदन्ति । ३. हिंदी में अनुवाद करो
अस्मिन् ग्रामे कियन्तः जनाः ताम्रकटं खादन्ति जिघ्रन्ति च । जननी बालकाय जातिफलं ददाति । सुरेन्द्र: निद्रारी नेतुं कुत्र अगमत् ? किं यूयं नस्यं जिघ्रथ ? यः कष्ट: न पराजयते स एव अग्रे वधितुं शक्तोऽस्ति ।
प्रवचनसमये स कुत्र उपतिष्ठते ? ४. निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप बताओ
जमालगोटा, जायफल, छुईमुई, तालमखाना, धतूरा, नागरमोथा । ५. परस्मैपदी धातु किन-किन उपसर्गों के योग से किस अर्थ में आत्मनेपदी
होती है ? ६. बिना उपसर्ग के कौनसी धातु कहां आत्मनेपदी होती है ?