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________________ - वाक्यरचना बोध प्रत्याहार में झ से भ तक के वर्ण ग्रहण किए जाते हैं। नियम ६-(अन्त्यस्वरादिष्टि: १३१२३४) अन्तिम स्वर से लेकर के वर्णों की टिसंज्ञा होती है। राजन् में अन् की टिसंज्ञा है। नियम ७-(अन्त्यात् पूर्व उपधा १११।३५) अन्तिम वर्ण (चाहे स्वर हो या व्यंजन) से पहले वर्ण की उपधासंज्ञा है। _ 'राजन्' में अन्तिम वर्ण न है । उससे पहला वर्ण ज का अ है। इसलिए अ की उपधासंज्ञा है। नियम ८-(आदैदौदारो वृद्धिः १।१।३६) आत्, ऐत्, औत्, आर् इनकी वृद्धिसंज्ञा है। नियम ६–(एदोदरो गुणः १।१।३७) एत्, ओत्, अर् इनकी गुणसंज्ञा है। नोट-वर्ण के आगे त् या कार लगाने से उस मात्रा का ही बोध होता है । जैसे—अत्, आत्, ककार । स्वर के आगे वर्ण शब्द लगाने से ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत तीनों ग्रहण किए जाते हैं। जैसे-अवर्ण-अ, आ, आ ३ । अभ्यास १. व्यंजन किसे कहते हैं ? वे कौन-कौन से हैं ? २. अनुस्वार और विसर्ग क्या व्यंजन हैं ? यदि हां तो दूसरे व्यंजनों से इनमें क्या अन्तर है ? ३. महाप्राण और अल्पप्राण में क्या भेद है ? वे कौन-कौन से हैं ? . ४. घोष या अघोष संज्ञा किन-किन वर्गों की है ? ५. टुवर्ग में कौन-कौन से वर्ण होते हैं ? ६. प्रत्याहार का क्या तात्पर्य है ? इसका प्रयोग क्यों किया जाता है ? ___ झस प्रत्याहार में कौन-कौन से वर्ण ग्रहण किये जाते हैं ? ७. हस, अल और जब प्रत्याहार में कौन-कौन से वर्ण हैं ? ८. कार, त् और वर्ण ये शब्द वर्ण के आगे लगाने से किसका बोध होता ६. टिसंज्ञा और उपधासंज्ञा किसे कहते हैं ? दो-दो उदाहरण दो। १०. वृद्धि और गुण संज्ञा किन-किन स्वरों की है ? ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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