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पाठ ३ : वाक्य
विचार व्यक्त करने का साधन भाषा है । भाषा वाक्यसमूह से बनती है । वाक्यसमूह शब्द और क्रियावाची शब्द समूह से बनता है । शब्द अक्षरा या उनके समूह से बनते हैं । इसको दूसरे शब्दों में ऐसा भी समझा जा सकता है— अक्षर या अक्षरसमूह से शब्द बनता है । शब्दसमूह से वाक्य बनता है । वाक्यसमूह से भाषा बनती है ।
वाक्य में कम से कम एक कर्त्ता और एक क्रिया होती है । उसमें कर्त्ता अतिरिक्त कर्म, साधन आदि भी हो सकते हैं । वाक्य में कर्ता, कर्म, साधन आदि के विशेषण और क्रियाविशेषण भी हो सकते हैं । उसमें क्रिया के साथ अर्धक्रिया का भी प्रयोग हो सकता है । जैसे—
१. रामः गच्छति — यहां रामः कर्ता है और गच्छति क्रिया है । २. रामः कटं करोति — यहां रामः कर्ता है, करोति क्रिया है और कटी कर्म है |
३. रामः लेखन्या लिखति — यहां रामः कर्ता है, लिखति क्रिया है और लेखन्या साधन है |
४. रामः साधुभ्यो भिक्षां ददाति - यहां रामः कर्ता है, भिक्षां कर्म है, तिक्रिया है और साधुभ्यो संप्रदान है ।
५. रामः अश्वात् पतति — यहां रामः कर्ता है, पतति क्रिया है और अश्वात् अपादान है ।
६. रामस्य पुस्तकं सुन्दरं अस्ति -- यहां पुस्तकं कर्ता है, सुन्दरं पुस्तक का विशेषण है, रामस्य सम्बंध है और अस्ति क्रिया है ।
७. रामः कटे शेते — यहां रामः कर्ता है, शेते क्रिया है और कटे आधार
है ।
कर्ता आदि के विशेषण और क्रिया का विशेषण 'विशेषण और विशेष्य' पाठ १४ में देखें ।
एक वाक्य में क्रिया के साथ अर्धक्रिया का भी प्रयोग हो सकता है । धातु में तुम्, क्त्वा, यप् आदि प्रत्यय लगाकर अर्धक्रिया का रूप बनाया जाता है । अर्धक्रिया का कर्म अलग होता है । उसमें द्वितीया विभक्ति होती है । जैसे— १. सः पाठं पठितुं विद्यालयं गच्छति ।
२. गां आनेतुं धनपाल: अरण्यं गच्छति ।
३. रामः पुस्तकं पठित्वा गृहं गच्छति ।