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वाक्यरचना बोध नियम ५२३-(शययि क्ङिति ४।१।६६) शीङ् धातु को शय आदेश होता है कित् और ङित् संज्ञा वाला यकार आदि प्रत्यय परे होने पर। शाश्यते ।
नियम ५२४-(घ्राध्मोर्यङि ४।११५८) घ्रा, ध्मा के आ को ई हो जाता है । जेघ्रीयते । देध्मीयते ।
नियम ५२५- (स्यमिव्येनोश्च यङि ४।४।१३) यङ् प्रत्यय परे होने पर स्यमु, व्यन् और ष्वप् को संप्रसारण होता है । स्यमु–सेसिम्यते । व्येन्वेवीयते । ष्वप्–सोषुप्यते ।
प्रयोगवाक्य रुग्णाः फलानि अशाश्यन्ते । मुनिः पात्राणि प्रोर्णोनूयते । मालाकार: पुष्पाणि सोसूत्र्यते । शिशुः कथं मोमूत्र्यते । दुर्जनः सोसूच्यते। साधवः अहं जंजप्यन्ते । प्रमादेन तस्याः वस्त्राणि दंदह्यन्ते । आपणिकः ग्राहकान वनीवच्यते । इदं नगरं सनीस्रस्यते, दनीध्वस्यते, बनीभ्रश्यते वा। वर्षौ नीरं पनीपत्यते । छात्रः गृहं पनीपद्यते । जननी पुत्र्यै वस्त्राणि देदीयते । नट: विविधरूपं देधीयते । बाल: दिवसे रात्रौ च सोषुप्यते। लोहकार: धमनी देध्मीयते।
संस्कृत में अनुवाद करो (यप्रत्यय के रूपों का प्रयोग करो) ____ वर्षा ऋतु में वर्षा बार-बार होती है । सुशीला साध्वियों के स्थान पर बार-बार जाती है । जंगल में अग्नि बार-बार क्यों जलती है ? रसोइया भोजन बार-बार पकाता है । चोर रात में बार-बार घूमता है । सीता कक्षा में इनाम बार-बार पाती है । खेतों में घास बार-बार उत्पन्न होता है। सोहन की कॉपी बार-बार लुप्त होती है। मोर बार-बार नाचता है। शीला पानी बारबार पीती है। सेना शत्रुओं को बार-बार मारती है। जनता नेता का बारबार चयन करती है । रात्रि में चन्द्रमा बार-बार शोभित होता है। बालक दूध बार-बार पीता है। राजा शत्रु को पकडकर उसे बार-बार छोडता है । है। विवाह के समय स्त्रियां गीत बार-बार- गाती हैं। छात्र अध्यापक से प्रश्न बार-बार पूछता है । सोहन वृक्षों को बार-बार काटता है । शिष्य गुरु से ज्ञान बार-बार ग्रहण करता है । चोर मनुष्यों का धन बार-बार हरता है।
अभ्यास १. हिंदी में अनुवाद करो
अये ! कथमद्य उदासीन इवात्र तेष्ठीयसे । धूर्ताः ननम्यन्ते । अरे ! कथं अपार्थकं जाहास्यसे । भाग्यशालिनः सर्वत्र सत्कारं लालभ्यन्ते । मेघागमं विलोक्य मयूराः नरीनृत्यन्ते । रात्रौ वृद्धः मोमूत्र्यते। साध्व्यः प्रज्ञागीतं