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तद्धित १२ (मत्वर्थ प्रत्यय )
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वाले शब्द तथा माया, मेधा, स्रज् शब्दों से मत्वर्थ में विन् और वतु प्रत्यय होता है | यशस्वी, तपस्वी, मायावी, मेधावी, स्रग्वी, यशस्वान्, तपस्वान्, मायावान्, मेधावान् स्रग्वान् ।
नियम ४३६ - ( शिखादिभ्य इन् ८|१|११ ) शिखा, माला, शाला, वीणा, मान, मनीषा, कर्मन्, चर्मन् आदि शब्दों से मत्वर्थ में इन् और वतु प्रत्यय होता है । शिखी, शिखावान्, माली, मालावान् इत्यादि ।
नियम ४३७ - ( झपात् ८।१।३) झप अंतवाले शब्दों से अस्ति अर्थ में तु प्रत्यय होता है | तडित्वान्, मरुत्वान्, विद्युत्वान्, समिद्वान् ।
नियम ४३८-| ( अतोऽनेकस्वरात् ८|१|१३) अकारान्त अनेक स्वर वाले शब्दों से मत्वर्थ में इक इन् और वतु प्रत्यय होते हैं । छत्रिकः, छत्री, छत्रवान् । दण्डिकः दण्डी, दण्डवान् ।
नियम ४३६ - ( वातातीसारपिशाचानां कुक् च ८।१।२८ ) वात, अतिसार और पिशाच शब्दों से मत्वर्थ में इन् प्रत्यय होता है और कुक् का आगम होता है । कुक् में उक् इत् जाता है । वातकी, अतिसारकी, पिशाचकी ।
नियम ४४० - ( सर्वादेरिन् ८।१।२६ ) अकारान्त सर्वादि शब्द कर्मधारय समास में हो तो मत्वर्थ में इन् प्रत्यय होता है । सर्वं धनं तस्यास्तीति सर्वधनी । सर्वकेशी नटः ।
नियम ४४१ - - ( सुखादेः ८|१|३०) सुख आदि शब्दों से मत्वर्थ में इन् प्रत्यय ही होता है । सुखी, दुखी, अलीकी, कृपणी, प्रणयी, प्रतीपी, तृप्री कृच्छ्री. अस्री, सोढी. हली, आस्त्री, कक्षी ।
नियम ४४२ - ( वाच आलाटौ ८|१|४६ ) वाच् शब्द से क्षेप ( निंदा) के अर्थ में आल और आट प्रत्यय होता है । वाचालः, वाचाटः ।
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नियम ४४३ - ( कृपाहृदयाद् वालुः ८|१|७४) कृपा और हृदय शब्द आलु और वतु प्रत्यय होता है । कृपालुः, कृपावान् । हृदयालुः, हृदयवान् । नियम ४४४– (दन्तादुन्नतात् ८।११५६ ) दन्त शब्द से डुर प्रत्यय होता है यदि दंत उन्नत ( ऊंचे) हों तो । दन्तुरः । उन्नत न हों वहां दंतवान् । नियम ४४५ - (नावादेरिकः ८|१|१० ) नौ, कुमारी, यवखदा, सभा, करण शब्दों से मत्वर्थ में इक प्रत्यय विकल्प से होता है । पक्ष में मतु होता है । नाविकः, नौमान् । कुमारिकः, कुमारीवान् ।
नियम ४४६ - ( व्रीह्यर्थ तुन्दादेरिलश्च ८ ।११५) व्रीहिवाची शब्द, तुंद आदि शब्दों में इल, इक, इन् और वतु ये चार प्रत्यय होते हैं । कलमिलः, कलमिकः, कलमी, कलमवान् । शालिल:, शालिकः, शाली, शालिवान् । तुन्दिलः, तुन्दिकः, तुन्दी, तुन्दवान् । उदरिलः, उदरिकः, उदरी, उदरवान् । व्रीहिशब्द से इल प्रत्यय नहीं होता शेष तीन प्रत्यय ही होते है । व्रीहिकः, व्रीही, व्रीहिमान