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________________ पाठ ३९ : तद्धित २ (समूह) शब्दसंग्रह घटीयंत्रम् (घडी)। लेखनयंत्रम् (टाइपराइटर) । वार्तायंत्रम् (टेलीफोन) तापमापकम् (थर्मामीटर) । दूरवीक्षणम् (दूरबीन) । मुद्रणालयः (प्रेस) । शंपाव्यजनम् (बिजली का पंखा) । ध्वनिधानी (रिकार्ड) । ध्वनिक्षेपकयंत्रम् (रेडियो)। श्रुतियंत्रम् (लाउडस्पीकर) । ध्वनिमंजूषा (साउन्डवॉक्स) । समितिः (कमेटी)। प्रवापणं, प्रादेशनम् (चन्दा) । निर्वाचनं (चुनाव)। मंगलयात्रा (जुलूस)। सदस्यः, सभ्यः (सदस्य) । निवृत्तिः (रिपोर्ट)। प्रस्तावः (प्रस्ताव) । मतम् (वोट) । मोक्षयात्रा (शवयात्रा) । उपनेत्रम् (एनक)। धातु-जागृक्-निद्राक्षये (जागति) जागना। शासुक्-अनुशिष्टौ (शास्ति) अनुशासन करना । वचंक्-भाषणे (वक्ति) बोलना। जागृक्, शासुक् और वचंक् धातु के रूप याद करो। (देखें परिशिष्ट २ संख्या २४, ८४, ८५)। (तस्यसमूहे) समूहे के अर्थ में प्रत्यय षष्ठी अन्त वाले नाम से ही होते हैं । समूह के अर्थ में बहुवचन का प्रयोग होता है परन्तु प्रत्यय लगने पर वह एक वचन भी समूह का वाचक बन जाता है। समूह प्रत्ययान्त शब्दों से क्रिया एक वचन और बहुवचन दोनों आती है। समूह अर्थ में अनेक प्रत्यय होते हैं । उनमें अण्, अकञ्, इकण, ण्य, य, ईय, एयञ्, ड्वण और अञ् प्रत्यय वाले शब्द नपुंसकलिंग में ही प्रयुक्त होते हैं । अल प्रत्ययान्त पुल्लिग और त्रल, कट्यल्, ल्य, लिन्, तल ये पांच प्रत्यय लित् होने के कारण स्त्रीलिंग में व्यवहृत होते हैं। नियय २३३- (गोत्रोक्षोष्ट्रोरभ्र राजराजन्यराजपुत्रवत्साजमनुष्यवृद्धादकञ् ६।३।१३) गोत्र प्रत्ययान्त शब्द, उक्षन्, उष्ट्र, उरभ्र, राज, राजन्य, राजपुत्र, वत्स, अज, मनुष्य, वृद्ध-इन शब्दों से समूह अर्थ में अका प्रत्यय होता है । गार्गकं, औक्षकं, औरभ्रक, राजकं, राजन्यकं, राजपुत्रकं, वात्सकं, भाजकं, मानुष्यक, वार्धकम् । नियम २३४- (कवचिहस्त्यचित्ताच्चेकण् ६।३।१५) कवचिन्, हस्तिन्न्, केदार और अचित्तवाची शब्दों से समूह अर्थ में इकण् प्रत्यय होता है । कावचिकं । हास्तिकं । कैदारिकं । आपूपिकम् । नियम २३५- (ग्रामजनबन्धुगजसहायेभ्यस्तल् ६।३।२६) ग्राम,
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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