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वाक्यरचना बोध
३. त्वया कथ्यमाना इयं कथा प्रलम्बाऽस्ति ।
हम कर्ता से कर्म और कर्म से कर्ता का परिवर्तन अनेक प्रकार से कर सकते हैं तथा दूसरी-दूसरी क्रियाओं के साथ उनका संबंध जोड सकते हैं। मया पठ्यमाना पुस्तिका ज्ञानं वर्धयति । इस वाक्य के भाव को इस रूप में भी कह सकते है-अहं ज्ञानं वर्धयन्तीं पुस्तिकां पठन् प्रमोदे ।
प्रयोगवाक्य त्वं किं पठन्नसि ? नरेन्द्रः कुत्र गच्छन्नासीत् ? रविवारे तव भगिनी किं कुर्वती आसीत् ? शुक्रवारे ललितस्य मातुलानी गीतं गायती आसीत् । विमलया पठ्यमानं पुस्तकं मह्यौं देहि । आचार्येण उच्यमाना वार्ता सर्वेभ्यः ज्ञापय । साध्वीभिः गीयमानं गीतं कियत्मधुरं समस्ति । गुरु सेवेथाः। दिवसे सूर्यः गगने भ्राशते, भ्लाशते, भासते वा। शीला त्वां किमभाषत ? पदं मा आशंसेथाः।
संस्कृत में अनुवाद करो महीने में कितने दिन होते हैं ? एक वर्ष में कितने महीने होते हैं ? रामनवमी चैत्र मास में आती है। अक्षयतृतीया बैशाखमास में आती है। जेठ महीने में गर्मी अधिक पडती है। आषाढपूर्णिमा के दिन आचार्यभिक्षु ने तेरापंथ की स्थापना की थी। भैया दूज श्रावण मास में आती है। संवत्सरी भाद्रमास में आती है। दशहरा का उत्सव आश्विनमास में होता है। दीपावली के दिन भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था। मिगसर कृष्णा प्रतिपदा के दिन साधु विहार कर कहां जायेंगे ? भगवान् पार्श्वनाथ की जन्म जयंती पौषमास में आती है । तुमने साधुओं की सेवा कब की थी? मुनियों में आचार्य शोभित होते हैं । व्यर्थ मत बोलो । शान्ता क्या चाहती है ?
शत, शान के प्रयोग करो रविवार को आचार्यश्री कहां प्रवचन कर रहे थे ? सोमवार को हम उत्तराध्ययन पढ़ रहे थे । अभी तुम क्यों हंस रहे हो ? मंगलवार को तुम्हारे दादाजी कहां जा रहे थे ? बुधवार को रमा मध्याह्न में ध्यान कर रही होगी। वृहस्पतिवार को मैं गुरुदेव की सेवा कर रहा था। शुक्रवार को अध्यापक द्वारा क्या विषय पढ़ाया जायेगा। शनिवार को संतों द्वारा गीत सुनाया जायेगा । मैं हर समय आचार्यवर की उपासना कर रहा हूं। आप सूत्र पढ़ रही हैं अतएव मैं आपको विदुषी कह रहा हूं। मैं जो कुछ कर रहा था वह आपको निवेदन करूंगा । वह आपके आदेशानुसार अध्ययन करती रहेगी। आप जो कुछ कह रहे थे वही मैं सुन रहा था।