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________________ साथ आचार्य पद-प्रदान । बंबई म चातुर्मास । अपमे उपदेशों द्वारा दुष्काल राहत निधि को धन से छलका देना। वि. सं. १९७५ आचार्य पद पर आरूढ होने के बाद का सूरत में प्रथम चातुर्मास । श्री जैनानंद पुस्तकालय की स्थापना, उपधान तप, चार मुनिवरोंको गणीपद प्रदान। वि. सं. १९७६ पूज्यश्री के उपदेश से माघ वदी (शास्त्रीय फाल्गुन ... वदी) ८ को पूज्यश्री के नेतृत्व में जीवनचंद नवलचंद झवेरी की ओर से सूरत से सिद्धगिरिका छह 'री' पालते संघ । पालीताना म चातुर्मास और भागमवाचना नं ६ तथा उपधान । वि. सं. १९७७ रतलाम में आगमवाचना नं ७; मालवदेश में विहरण, शैलाना नरेश को प्रतिबोध । शैलाना में चातुर्मास, राज्य में अमारि प्रतह की घोषणा । वि. सि. १९७८ रतलाम में चातुर्मास, जिन मंदिर आदि धार्मिक - संस्थाओं का कारोबार सुचारु रूप से चलाने के लिए 'सेठ ऋषभदेवजी केशरीमलजी' की स्थापना । उपधान तप की आराधना। वि. सं. १९७९ भोपावर तीर्थका उद्धार, मांडवगढ सीर्थका स्टेट (रियासत) के साथ समाधान, पंचेड तथा सेमलिया नगर के
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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