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________________ वि. सं. १९६८ सूरत में जैन तत्त्व बोध पाठशाला' की स्थापना । खंभात में चातुर्मास । वि. सं. १९६९ छाणी में चातुर्मास । व्याख्यान के द्वारा अनेक आत्माओं की भावना संयम मार्ग की ओर । वि. सं. १९७० पाटन में चातुर्मास, दुष्काल राहत में पूज्य श्री _ के उपदेश के कारण दानवीरों द्वारा विपुल दान । वि. सं. १९७१ श्री भीलडियाजी तीर्थका छह 'री' पालते हुए संघ । वहाँ से भोयणीजी तीर्थ की स्पर्शना, वहाँ पर आगमों के मुद्रणार्थ माघ सुदी १० को समिति की स्थापना। आगम सेवा का प्रारंभ-पूर्व की आगम-वाचनाओं की स्मृति करा दे ऐसी आगमवाचना नंबर १ (प्रथम) पाटन में और वहीं चातुर्मास । वि. सं. १९७२ कपडवंज में आगमवाचना नं २, अहमदाबाद में चातुर्मास और आगमवाचना नं ३ । वि. सं. १९७३ अहमदाबाद में 'श्री राजनगर जैन धार्मिक हरिफाई . परीक्षा' नामक संस्था की स्थापना । सूरत में दो आगम वाचनाएँ-(नं ४ और ५) तथा चातुर्मास । .. वि. सं. १९७४ सूरत संघ में कई वर्षों से चले आते हुए वैमनस्य के बीजों का उच्छेदन, संघ में पूर्ण एकता। अपूर्व उत्साहके
SR No.032387
Book TitleAgamdharsuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherJain Pustak Prakashak Samstha
Publication Year1973
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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