SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 920
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८५० नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं २- आध्यात्मिक शिक्षण शिविरों का आयोजन करना। ३- विभिन्न क्षेत्रों में स्वाध्याय शालाओं की स्थापना करना। ४- सामायिक स्वाध्याय का प्रचार-प्रसार करना। संघ के माध्यम से प्रतिवर्ष ४०-५० स्वाध्यायी बन्धु विभिन्न ग्राम-नगरों में पर्युषण -सेवा का लाभ ले रहे हैं। साथ ही संघ द्वारा प्रतिवर्ष स्वाध्याय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। विशेष गौरव की बात यह है कि अभी तक संघ के माध्यम से पर्युषण पर्वाधिराज की आराधना में सेवा देने वाले ८ स्वाध्यायी भाई - बहिन जैन श्रमण-दीक्षा अंगीकार कर मुनिव्रत धारण कर चुके हैं। • श्री महावीर जैन स्वाध्यायशाला, महावीर भवन, इमली बाजार , इन्दौर बालवय में दीक्षित परम पूज्य आचार्य भगवन्त का बालक -बालिकाओं को सुसंस्कारित करने पर विशेष जोर | रहा। आपश्री की मान्यता थी कि यही वह उम्र है जिसमें दिये गये संस्कार जीवन भर अमिट रहते हैं। आपके इन्दौर चातुर्मास की उल्लेखनीय उपलब्धि रही – इस स्वाध्यायशाला की स्थापना। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों व युवाओं में धार्मिक रुचि जागृत कर उन्हें सुसंस्कृत बनाना है। इस स्वाध्यायशाला में विगत २२ वर्षों से नियमित रूप से प्रात: ८ से १०-३० बजे तक, अपराह्न ३ से ४ बजे तक व सायं ६.३० से ७.३० बजे तक धार्मिक अध्ययन का क्रम चालू है। अब तक सैकड़ों छात्र-छात्राएँ सामायिक, प्रतिक्रमण, थोकड़ों, स्तोत्रों का अभ्यास कर चुके हैं। अनेक युवा उत्तराध्ययन , दशवैकालिक , अन्तकृतांग सूत्र आदि आगमों का अध्ययन कर चुके हैं। संस्था द्वारा विगत आठ वर्षों से त्रैमासिक ग्रीष्मकालीन धार्मिक शिक्षण का आयोजन किया जाता है। प्रति रविवार सामूहिक सामायिक-स्वाध्याय एवं प्रार्थना का कार्यक्रम अनवरत चालू है। बालक-बालिका ही नहीं, श्रावक-श्राविका भी संस्था से जुड़े हुए हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त की प्रेरणा से श्रावक-श्राविकागण धुलण्डी व रंगपंचमी पर विगत कई वर्षों से रंग न खेल कर सामूहिक स्वाध्याय एवं पांच-पांच सामायिक की आराधना कर एक आदर्श उपस्थित कर रहे हैं। दीपावली पर आतिशबाजी न करने वाले छात्रों को पुरस्कृत कर उन्हें हिंसा से विरत करने का प्रयास किया जा रहा है। • श्री जैन रत्न जवाहरलाल बाफना कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय, भोपालगढ़ महाप्रतापी क्रियोद्धारक जैनाचार्य परम पूज्य १००८ श्री रत्नचन्द्रजी म. सा. की पावन-स्मृति में संचालित श्री जैन रत्न विद्यालय, भोपालगढ़ के कार्यकर्ताओं ने विद्यालय की स्वर्ण जयन्ती १५ जनवरी १९७९ के अवसर पर कन्या पाठशाला की स्थापना के द्वारा बालिकाओं में शिक्षा व संस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया। इस भावना को मूर्त रूप प्रदान किया भोपालगढ के ही मूल निवासी अनन्य गुरुभक्त लब्धप्रतिष्ठ सुश्रावक श्री जवाहरलालजी बाफना के सुपुत्रगण उदारमना श्री भंवरलालजी, सज्जनराजजी, कल्याणमलजी, अनूपकुमारजी बाफना ने , जिन्होंने अपने द्वारा संचालित श्री जे. जे. चेरिटेबल ट्रस्ट इन्दौर एवं जलगांव के माध्यम से कन्या पाठशाला हेतु भवन बनवा कर समर्पित किया। यही नहीं वरन् उनके द्वारा नियमित रूप से इसके संचालन हेतु अर्थ सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy