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पंचम खण्ड: परिशिष्ट
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| पुस्तकमाला के अन्तर्गत १०१ रुपये में १०८ ट्रेक्ट पुस्तकें देने की योजना बनाई गई जो बहुत लोकप्रिय हुई। डॉ. भानावत के रहते इस योजना में विभिन्न विषयों पर ८७ ट्रेक्ट पुस्तिकाएँ प्रकाशित हो गई थीं ।
(३) आचार्य श्री रत्नचन्द्र स्मृति व्याख्यानमाला - इस व्याख्यानमाला के अन्तर्गत डॉ. इन्दरराज बैद, डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया, डॉ. दयानन्द भार्गव एवं डॉ. रामचन्द्र द्विवेदी के व्याख्यान हुए ।
जैन दिवाकर व्याख्यानमाला में. डॉ. विश्वम्भरनाथ उपाध्याय, स्वामी श्री आत्मानन्द जी एवं डॉ. लक्ष्मीमलजी सिंघवी के व्याख्यान हुए और अगरचन्द नाहटा स्मृति व्याख्यानमाला में एक ही व्याख्यान डॉ. गणेशदत्त त्रिपाठी का हो सका ।
(४) जैन विद्या प्रोत्साहन छात्रवृत्ति इस योजना के अन्तर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एम. ए. के स्तर पर ऐच्छिक रूप में जैन दर्शन विषय लेकर अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं में प्रत्येक को ५०० रुपये की छात्रवृत्ति देने का प्रावधान किया गया।
(५) अन्य कार्य - जैन धर्म एवं दर्शन से सम्बद्ध विषयों पर परिषद् की ओर से निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित की गई। जैन दर्शन और साहित्य पर पी.एच.डी करने वाले युवा शोध कर्मियों को सम्मानित किया गया। परिषद् ने दो सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ किए। - (१) जैन संस्था सर्वेक्षण और (२) स्थानकवासी जैन साहित्य सर्वेक्षण। वर्तमान में परिषद् के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल जी लोढा एवं महामंत्री डॉ. संजीव जी भानावत हैं ।
श्री कर्नाटक जैन स्वाध्याय संघ, ६१, नगरथ पेट, बैंगलोर
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परम श्रद्धेय आचार्यप्रवर पूज्य श्री १००८ श्री हस्तीमलजी म.सा. का समग्र जीवन सामायिक - स्वाध्याय की | प्रेरणा हेतु समर्पित रहा। आपके दक्षिण प्रवास के समय कर्नाटक प्रान्त में इस संस्था की स्थापना निम्नाङ्कित उद्देश्यों
| से हुई -
(१) समाज में संस्कारों का सृजन करना (२) बाल- युवा पीढ़ी में धर्म की विशुद्ध जानकारी के साथ श्रद्धा जागृत करना (३) पूज्य संत-सतीवृन्द के चातुर्मास लाभ से वंचित क्षेत्रों में सुयोग्य स्वाध्यायी बंधुओं को भेजकर पर्वाधिराज पर्युषण साधना सम्पन्न करवाना । सम्प्रति लगभग ५० क्षेत्रों में इस संघ के माध्यम से स्वाध्यायी बंधु अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। संघ के माध्यम से स्वाध्यायियों के ज्ञान-वर्द्धन हेतु माह के अन्तिम रविवार को स्वाध्यायी संगोष्ठी एवं वर्ष में दो बार तीन दिवसीय स्वाध्यायी शिविरों का आयोजन किया जाता है। संघ पुस्तकालय के संचालन एवं हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा में सत्साहित्य प्रकाशन करते हुए कर्नाटक प्रान्त में धर्म-प्रचार के महान कार्य में संलग्न है ।
श्री मध्यप्रदेश जैन स्वाध्याय संघ, महावीर भवन, इमली बाजार, इंदौर
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परम पूज्य आचार्य भगवन्त जहाँ भी पधारे, सामायिक- स्वाध्याय का बिगुल बज उठा। आपके मध्यप्रदेश में विचरण के समय सामायिक एवं स्वाध्याय के प्रचार-प्रसार के पवित्र उद्देश्य से इस संस्था की स्थापना हुई। संस्था की स्थापना के निम्नाङ्कित उद्देश्य रहे
१- पूज्य संत-सतीवृन्द के चातुर्मास लाभ से वंचित क्षेत्रों में पर्युषण पर्वाराधन हेतु स्वाध्यायी सदस्यों को
भेजना ।