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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
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लाना (८) टिकट के बिना यात्रा नहीं करना । (९) ब्रह्मचर्यव्रत का सप्ताह में दो दिन अवश्य पालन करना एवं अधिकाधिक निजी मर्यादा रखना ।
यह थी आचार्य श्री की दृष्टि । विद्वानों को भी वे साधना में आगे बढ़ा हुआ देखना चाहते थे । स्थानीय संघ की ओर से श्री डी आर मेहता, विद्वत् परिषद के अध्यक्ष श्री भंवरलाल जी कोठारी एवं महामन्त्री डॉ. नरेन्द्र भानावत का सम्मान किया गया। इस प्रकार यह चातुर्मास शिक्षा, शिक्षक, सेवा एवं धर्माराधन की दृष्टि से मंगलकारी सिद्ध हुआ ।
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