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________________ अन्तिम पाँच चातुर्मास पीपाड़, अजमेर, सवाई माधोपुर, कोसाणा एवं पाली (संवत् २०४३ से २०४७) |. मेड़ता, अजमेर, ब्यावर, पाली होकर जोधपुर ___ भोपालगढ़ का ऐतिहासिक चातुर्मास सानंद सम्पन्न कर २८ नवम्बर को आचार्य श्री हीरादेसर पधारे । यहाँ से पुनः भोपालगढ़ होते हुए नाडसर, वारणी, हरसोलाव, गोटन, लाम्बा, कलरू आदि क्षेत्रों को पावन करते हुए पूज्यपाद मेड़ता शहर पधारे। यहाँ २२ से २८ दिसम्बर ८५ तक बालकों का धर्म-शिक्षण शिविर सम्पन्न हुआ। मेड़ता में आपका ७ जनवरी १९८६ तक विराजना हुआ। अनेक श्रद्धालु भक्तों ने सामायिक-स्वाध्याय का नियम स्वीकार कर पूज्यप्रवर के सामायिक स्वाध्याय के संदेश को जीवन में अंगीकार किया। यहाँ से ८ जनवरी को विहार कर आप पांचरोलिया, झड़ा, सेसड़ा, पादू छोटी, पादू बड़ी एवं मेवड़ा में धर्मोद्योत करते हुए १९ जनवरी को थांवला पधारे। थांवला में आचार्यश्री की ७६वीं जन्मतिथि मंगल आयोजनों के साथ मनायी गई। थांवला से पुष्कर होते हुए भगवन्त अजमेर पधारे। यहाँ न्यायाधिपति श्री श्रीकृष्णमल जी लोढा जोधपुर के साथ उनके सुपुत्र न्यायाधीश राजेन्द्र जी लोढा, न्यायाधिपति श्री मिलापचन्दजी जैन एवं न्यायाधिपति श्रीमती कान्ताजी भटनागर ने दर्शन एवं चर्चा का लाभ लिया। श्री अमरचन्दजी कांसवा, श्री मोतीलालजी कटारिया, श्री चांदमलजी गोखरू ने आचार्य श्री के ६६ वें दीक्षा दिवस पर ११ फरवरी ८६ को आजीवन शीलव्रत अंगीकार किया। दिवाकर परम्परा के श्री प्रेम मुनि जी एवं श्री गौतम मुनि जी ठाणा २ से दीक्षा-दिवस कार्यक्रम में पधारे । इस अवसर पर यहां धार्मिक शिक्षण-शाला का शुभारम्भ हुआ। महावीर कालोनी में श्री सूरजमलजी गांधी ने आजीवन शीलव्रत स्वीकार किया। यहाँ से १८ फरवरी को विहार कर चरितनायक तबीजी, केशरपुरा होकर फैक्ट्री में व्यसन-त्याग कराकर जेठाना, नागेलाव होते हुए ब्यावर पधारे। श्री ईश्वरमुनिजी आदि ठाणा अगवानी में विद्यालय तक पधारे । ब्यावर में कतिपय भाइयों ने एक वर्ष का शीलव्रत स्वीकार किया। बहुश्रुत पं. श्री समर्थमलजी म.सा. की परम्परा की महासती श्री भंवरकंवरजी म.सा. आदि ठाणा २१, महासतीजी ज्ञानलताजी म.सा. आदि ठाणा ५ भी आचार्य श्री की सेवा में पधारे। यहाँ श्री भंवरलालजी देवलिया ने शीलव्रत का स्कन्ध लेकर अपना जीवन सुरभित | किया। फाल्गुन शुक्ला अष्टमी को ७०० आयंबिल हुए। होली चौमासी पर वर्षावास हेतु अनेक संघों ने पूज्यपाद के श्री चरणों में विनतियां प्रस्तुत की। यहाँ से ३१ मार्च को विहार कर चांग, नानणा में आचार्यप्रवर अरावली की पर्वत शृंखलाओं से घिरे गाँव 'गिरी' पधारे । नानणा में भ. ऋषभदेव के जन्म-कल्याणक पर आदिनाथ जैन धार्मिक पाठशाला का प्रारम्भ हुआ। पूज्य चरितनायक की पावन प्रभावक प्रेरणा से छोटे से ग्राम गिरी में अनेकों व्यक्तियों ने व्यसन-त्याग किया व ठाकुर गुमानसिंह जी सहित ८ व्यक्तियों ने शीलव्रत अंगीकार किया। यहाँ से विहार कर हाजीवास एवं खोखरी ग्राम में व्यसन-त्याग कराते श्री आसूलालजी एवं पाबूदान जी को सजोड़े आजीवन शीलव्रत | दिला कर आप निमाज पधारे, जहाँ ८ अप्रेल को जोधपुर में साध्वीप्रमुखा प्रवर्तिनी महासती श्री सुंदरकंवरजी म. के संथारा सीझने के समाचार के साथ कायोत्सर्ग किया गया एवं गुणानुवाद सभा में महासतीजी की विशेषताओं पर
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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