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________________ शोभागुरु की दीक्षा-शताब्दी एवं स्वयं की दीक्षा-अर्द्धशती अजमेर में मेड़ता का चातुर्मास सानंद सम्पन्न कर श्रावकों के अत्यंत आग्रह पर आचार्यश्री थाँवलाँ, बांदनवाडा, भिनाय, विजयनगर होते हुए सती-मंडल धनकंवरजी, उमराव कंवरजी, महासतीश्री विचक्षणश्रीजी की शिष्याओं को प्रेरणा देते अजमेर पधारे, जहाँ स्व. आचार्यश्री शोभाचन्द्र जी म.सा. का दीक्षा शताब्दी साधना-समारोह माघ शुक्ला प्रतिपदा से सप्तमी वि. संवत् २०२७ (२७ जनवरी से २ फरवरी ७१) तक 'साधना सप्ताह' के रूप में पं. रत्न श्री सोहनलालजी म.सा. ठाणा ३ के सह-सान्निध्य में सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के तत्त्वावधान में मनाया गया। यह मणिकांचन संयोग था कि गुरु-शिष्य की दीक्षा तिथियों में मात्र तीन दिन का अन्तर था। पूज्यपाद आचार्य श्री शोभाचन्द जी म.सा. की दीक्षा तिथि माघ शुक्ला पंचमी है तो उनके सुयोग्य श्रेष्ठ शिष्य चरितनायक की दीक्षा तिथि माघ शुक्ला द्वितीया है। गुरु शिष्य दोनों की दीक्षा में ५० वर्ष का अंतर था। इस समारोह समिति के अध्यक्ष श्री रिखबराज जी कर्णावट एवं मंत्री श्री ज्ञानेन्द्र जी बाफना के नेतृत्व में श्री मदनराजजी सिंघवी जोधपुर, श्री पारसमलजी बाफना भोपालगढ़, श्री संपतराजजी बाफना भोपालगढ़, श्री रामसिंह जी हुंडा ओस्तरां (हीरादेसर), श्रीमती सरदार बाई मुणोत अजमेर प्रभृति अनेक भक्त श्रावकों के सत्प्रयासों से यह साधना समारोह गाँव-गाँव और नगर-नगर में मनाया गया। समारोह के आयोजकों ने प्रचार-प्रसार के निवेदन-पत्रों में प्रेरणा की कि मिथ्यात्व, अव्रत, प्रमाद, कषाय आदि से बचने के लिए सत्पुरुषों के सत्संग, संस्मरण, दीक्षा आदि के प्रसंग सुषुप्त मानव-मन को जागृत करते हैं। फलस्वरूप आशा से अधिक सफलता मिली। कार्यकर्ताओं ने १०० नये स्वाध्यायी, १०० बारह व्रतधारी , १०० एक वर्षीय शीलव्रतधारी, १०० आजीवन शीलव्रती १०० शाकाहारी, १०० मद्यत्यागी, १०० धूम्रपान त्यागी एवं ५० स्थानों पर सामायिक संघ की स्थापना का लक्ष्य रखा। ग्राम-ग्राम एवं नगर-नगर में उत्साहपूर्ण उपलब्धियाँ रही। स्थान-स्थान पर प्रतिज्ञा-पत्र भरे गए। प्रतिज्ञा-पत्र भरने वालों की संख्या इस प्रकार रही- मांस-त्यागी ६८६, मद्यत्यागी ६८१, धूम्रपान-त्यागी ७८१, वार्षिक शीलवती २११, स्वाध्यायी २१०, बारह व्रतधारी १२४, आजीवन शीलवती १७३ जोड़े, सामायिक संघ ५०, छात्रवृत्तिदाता ४६ । निर्धारित लक्ष्य से कई गुना अधिक संकल्प-पत्र भरना सबके लिए प्रमोद का विषय था। इनमें से अनेको व्यक्तियों ने पूज्यपाद आचार्य श्री शोभाचंदजी म.सा. की दीक्षा शताब्दी के पावन दिन पर व्यक्तिश: उपस्थित होकर पूज्य चरितनायक के मुखारविन्द से प्रत्याख्यान अंगीकार कर अपने जीवन को भावित करते हुए जिनशासन की महती प्रभावना की। इनके साथ ही फूलिया कलां में स्वाध्याय मित्र मंडल, धनोप व बागसुरी में | जैन धार्मिक पाठशाला, जोधपुर में महिला स्वाध्याय मंडल का शुभारम्भ हुआ। इस पावन प्रसंग पर अनेक महानुभावों ने श्री वर्धमान सेवा समिति के कोष संवर्धन एवं स्वाध्याय संघ , जोधपुर को पाँच वर्षों तक अर्थ-सहयोग देने का संकल्प किया। ___आचार्य श्री के मौन, माला और मनन का चतुर्विध संघ पर अनूठा प्रभाव परिलक्षित हुआ। २८ से ३१ जनवरी १९७१ तक अजमेर के मोतीकटला मैदान में भव्य समारोह का आयोजन हुआ। हजारों धर्मानुरागी तप-त्याग, व्रत-नियम, सामायिक स्वाध्याय की श्रद्धा से प्रमुदित एवं अभिभूत थे। अनेक साधु-साध्वी तथा श्रावकों ने आचार्य
SR No.032385
Book TitleNamo Purisavaragandh Hatthinam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain and Others
PublisherAkhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
Publication Year2003
Total Pages960
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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