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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं
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प्रात: काल आसोतरा के रास्ते में तपस्वीराज श्री चम्पालाल जी म. से आपका स्नेह मिलन हुआ। कुसीप में ठाकुर हणवंतसिंह जी को मद्यमांस का त्याग कराकर एवं श्री जेठमलजी को शीलव्रत का स्कन्ध कराकर आप सिवाना पधारे। जालोर संघ की प्रबल भावना को दृष्टिगत कर आपने बालवाड़ा होते हुए जालोर की ओर विहार | किया। विहार क्रम में आप बिशनगढ होते हुए तिरखी पधारे। यहाँ पर जिला श्रावक संघ की सभा हुई, जिसमें स्वाध्याय और सामायिक संघ को प्रसारित करने का निर्णय लिया गया। श्री कल्याणविजय जी म. आदि ठाणा ३ का प्रेममिलन हुआ । यहाँ आपकी प्रेरणा से भंडार की प्रतिलेखना कर सूची तैयार की गई। जालोर में आपने लगभग ५० भाइयों को प्रार्थना एवं सामायिक का संकल्प कराया ।
जालोर से देवावास, भंवराणी होते हुए चरितनायक खंडप पधारे, जहाँ तीन दिन विराजे। आप श्री के उद्बोधन | से प्रभावित होकर श्री लूंकड जी ने मुख्याध्यापक जी के सहयोग से धार्मिक-शिक्षण की व्यवस्था की । यहाँ के अमर | जैन ज्ञान भंडार में लगभग ११५० पुस्तकें एवं १७० के लगभग हस्तलिखित प्रतियाँ सुरक्षित हैं। इसकी व्यवस्था में धनराजजी लूंकड का प्रयत्न प्रशंसनीय है। यहाँ से विहार कर आप भोंरडा, घाणा, गेलाव- मांडावास, जेतपुरा होते हुए रूपावास पधारे, जहाँ वर्षा के कारण आहारादि का योग भी नहीं बना। यहाँ से विहार कर आपका पाली पदार्पण हुआ ।
• पाली पदार्पण
द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ला १३ संवत् २०१८ को आपने पाली समाज में व्याप्त कलह को दूर करने की दृष्टि से | प्रेरणाप्रद उद्बोधन दिया। दोनों पक्षों ने मंत्रणा कर गुरुदेव से निवेदन किया कि उनके विराजने से सुलह हो जाएगी और अन्ततः तपःपूत तेजस्वी सन्त पूज्य गुरुदेव की वाणी के प्रभाव से सोहनराजजी डोसी, घीसूजी, सम्पतजी कोठारी, विजय जी बालिया आदि श्रावकों ने सक्रिय भूमिका निभायी एवं परस्पर सुलह कर, पूज्य श्री की जय-जयकार बोलते हुए दोनों दलों ने आकर रात्रि १०.३० बजे मंगलपाठ सुना। गुरुदेव ने अखंड जाप की प्रेरणा की, पक्खी को अखंड जाप हुआ । २० दिनों तक यहाँ धर्माराधन का ठाट रहा । यहाँ से आगामी चातुर्मासार्थ जोधपुर की ओर | विहार हुआ। मार्ग में पुनायता, चोटिला, रोहट लूणी, सालावास में जैन- अजैन बन्धुओं को अनछना पानी, बीड़ी | सिगरेट आदि का त्याग कराया। चोटिला में दर्जी एवं ब्राह्मण भी नमस्कार मन्त्र का जाप करते हैं । गुरुदेव ने इन्हें स्वधर्मिबन्धु कहा ।
जोधपुर चातुर्मास (संवत् २०१८)
विक्रम संवत् २०१८ का चातुर्मास जोधपुर के सिंहपोल में ठाणा ८ से विशेष प्रभावशाली रहा । इस | चातुर्मास में अनेक स्वाध्यायी बन्धु तैयार हुए। ५१ लोगों ने ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया, चार मासखमण तप हुए। अनेक व्यक्तियों ने १२ व्रत अंगीकार किये। सामायिक एवं स्वाध्याय का शंखनाद हुआ । चातुर्मास की सफलता के मापदण्ड के आज के परिप्रेक्ष्य में यह समझना आवश्यक है कि त्यागी महापुरुषों सान्निध्य में सम्पन्न त्याग-प्रत्याख्यान और व्रत ग्रहण ही उनकी सच्ची सेवा है, उनकी सच्ची भक्ति है । निज-पर कल्याणकारी महापुरुषों के जीवन का यही लक्षण है कि उनकी स्वयं की साधना के विकास के साथ उनके सान्निध्य में आने वाले भक्तजन भी पापों से विरति कर संवर, संयम - साधना से जुडें । चरितनायक पूज्य प्रवर चातुर्मास खोलते समय भी इसी लक्ष्य को प्रधानता देते व इसी से प्रमुदित होते । चातुर्मास में आडम्बर, आवागमन व आयोजनों से चातुर्मास को