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________________ ९४ __ धाततीसंडदीवपच्चत्थिमद्धे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव जाव छव्विहं पि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, [तंजहा-] भरहे चेव एरवए चेव । णवरं कूडसामली चेव महाधायईरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे, पियदंसणे चेव । __ [सू० १००] धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं, दो एरवताई, दो हेमवताई, दो हेरनवताई, दो हरिवासाइं, दो रम्मगवासाइं, दो पुव्वविदेहाइं, दो अवरविदेहाइं, दो देवकुराओ, दो देवकुरमहढुमा, दो देवकुरमहढुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरमहदुमा, दो उत्तरकुरमहद्दुमवासी देवा, दो चुल्लहिमवंता, दो महाहिमवंता, दो निसढा, दो नीलवंता, दो रुप्पी, दो सिहरी, दो सद्दावती, दो सद्दावतिवासी साती देवा, दो वियडावती, दो वियडावतिवासी पभासा देवा, दो गंधावती, दो गंधावतिवासी अरुणा देवा, दो मालवंतपरियागा, दो मालवंतपरियागवासी पउमा देवा, दो मालवंता, दो चित्तकूडा, दो पम्हकूडा, दो नलिणकूडा, दो एगसेला, दो तिकूडा, दो वेसमणकूडा, दो अंजणा, दो मातंजणा, दो सोमणसा, दो विजुप्पभा, दो अंकावती, दो पम्हावती, दो आसीविसा, दो सुहावहा, दो चंदपव्वता, दो सूरपव्वता, दो णागपव्वता, दो देवपव्वया, दो गंधमायणा, दो उसुगारपव्वता, दो चुल्लहिमवतंकूडा, दो वेसमणकूडा, दो महाहिमवंतकूडा, दो वेरुलियकूडा, दो निसढकूडा, दो रुयगकूडा, दो नीलवंतकूडा, दो उवदंसणकूडा, दो रुप्पिकूडा, दो मणिकंचणकूडा, दो सिहरिकूडा, दो तिगिंच्छिकूडा, दो पउमद्दहा, दो पउमद्दहवासिणीओ सिरीदेवीओ, दो महापउमद्दहा, दो महापउमद्दहवासिणीओ हिरीओ देवीओ, एवं जाव दो पुंडरीयद्दहा, दो पुंडरीयद्दहवासिणीओ लच्छीओ देवीओ, दो गंगप्पवायदहा जाव दो रत्तावतिप्पवातद्दहा, दो रोहियाओ जाव दो
SR No.032373
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayhemchandrasuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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