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- प्रस्ताविक अपना विषय 'भारतीय राजनीति जैनपुराण साहित्य संदर्भ में" "प्रकाशित करने से पूर्व में यह बताना चाहती हूं कि भारत में राजनीति शास्त्र के अध्ययन की क्या परम्परा थी।
भारत में राजनीति शास्त्र के अध्ययन की परम्परा बहुत प्राचीन है। (वर्तमान उपलब्ध राजनीति प्रधान ग्रन्थों में यद्यपि कौटिल्य का अर्थ-शास्त्र सबसे प्राचीन माना जाता है।) वर्तमान उपलब्ध राजनैतिक वाड्मय में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मनुस्मृति शुक्रनीतिसार, याज्ञवल्क्य स्मृति तथा नीतिवाक्यामृत आदि प्रमुख ग्रन्थ हैं । इन ग्रन्थों की टीकाओं में अनेक प्राचीन महान राजनीतिज्ञों के मतों का उल्लेख प्राप्त होता है, जिनकी रचनाएँ आज उपलब्ध नहीं हैं । महाभारत तथा रामायण ग्रन्थों में भी राजनीति के बहुमूल्य तत्त्व विद्यमान हैं । इन ग्रन्थों पर विद्वानों ने काफी शोध और खोज की है। उक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त बहुत-सा प्राचीन साहित्य है, जिसमें राजनीति के अनेक बहुमूल्य तत्व समाविष्ट हैं। इस कोटि में जैन पुराण साहित्य को रखा जा सकता है।
पिछले कुछ वर्षों से विद्वानों का ध्यान जैन वाड़मय की ओर आकृष्ट हुआ है। परिणाम स्वरूप अध्ययन, अनुसंधान के प्रयत्न भी प्रारम्भ हुए हैं। सोमदेव के नीतिवाक्यामृत को छोड़कर अन्य ग्रन्थों के राजनैतिक अंशों पर अभी तक शायद कोई खास शोधकार्य नहीं हुआ है, थोड़ा-बहुत जो कुछ भी हुआ है, वह अपर्याप्त है। इस पर राजनीति की बहुत-सी यत्र-तत्र विकीर्ण सामग्री अभं.. ... विद्वानों की दृष्टि से अोझल ही है।
आज तक देश-विदेश में शायद ऐसा एक भी प्रयत्न नह। हुआ जिससे जैन पुराण-साहित्य के संदर्भ में तत्कालीन राजनीतिक का सम्पूर्ण रेखाचित्र अंकित किया जा सके । इस बात को दृष्टिगत रखते हुए ही मैंने 'भारतीय राजनीति : जैन पुराण साहित्य संदर्म में" शोध-विषय चना है।