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(६६). १. नेसर्प निधि :
यह निधि ग्राम, नगर, द्रोणमुख, मण्डप आदि स्थानों के निर्माण में सहायक होती थी। २. पांडुक निधि :
यह मान, उन्मान और प्रमाण आदि का ज्ञान करती थी, तथा धान्य और बीजों को उत्पन्न करतो थी। ३. पिङ्गल निधि :
यह निधि, मनुष्य एवं तिर्यचों के सर्वविध आभूषणों की विधि का ज्ञान कराने वाली तथा योग्य आभरण प्रदान करती थी। ४. सर्व रत्नकविधि :
इस निधि से वज्र वैर्य, मरकत, माणिक्य, पद्मराग, पुष्पराज आदि बहुमूल्य रत्न प्राप्त होते थे। ५. महापद्मनिधि :
यह निधि सभी प्रकार के शुद्ध एवं रंगीन वस्त्रों की उत्पादिका थी। ६. काल निधि :
वर्तमान, भूत, भविष्य, कृषिकर्म, कला-शास्त्र, व्याकरण-शास्त्र आदि का यह ज्ञान कराती थी। ७. महाकाल निषि:
सोना, चाँदी, मोती, प्रवाल, लोहा आदि की खानें उत्पन्न कराने में सहायक होती थी। ८. माणव निधि :
कवच, ढाल, तलवार, आदि विविध प्रकार के दिव्य आयुध, युद्धनीति तथा दण्डनीति आदि की जानकारी कराने वाली होती थी। ६. शंख निधि :
विविध प्रकार के वाद्य-काव्य-नाट्य-नाटक आदि की विधि का ज्ञान कराने वाली होती थी।