________________
दो शब्द साध्वी मधुस्मिता श्री जी का शोध निबन्ध (थीसीस) "भारतीय राजनीति जैन पुराण साहित्य संदर्भ में" का प्रकाशन एक सुभग बौद्धिक प्रसंग है । इसीलिए कि जैन साहित्य के मूल आधार का राजनीति शास्त्रीय अभिगम से अभ्यास पूर्ण विश्लेषण मधुस्मिता श्री जी ने किया है। समाज में राजनीति का चलना और दण्ड शक्ति का विनियोग अनिवार्य होता है, तब भी जैन राजनीतिज्ञों ने शान्ति की प्रतिष्ठा की थी। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति व सम्बन्धों में अहिंसा और शान्ति के मूल्यों की सराहना-यह जैन संस्कृति का भारत और विश्व को अनन्य प्रदान है। यह महत्वपूर्ण शोध मधुस्मिता जी ने पद्धति सर रूप से सूक्ष्म विवरण करके सिद्ध किया है।
मुझे ज्यादा खुशी इस बात की है कि साध्वी श्री की इतनी बौद्धिक परिश्रम से लिखी हुई थीसीस के लिए पी० एच० डी० की जो उपाधि मिलने वाली थी, उसका उनको कोई भौतिक उपयोग या व्यवसायी लाभ मिलने वाला नहीं था ना ही ऐसी कुछ अपेक्षा भी थी, फिर भी केवल निजानन्द के लिए और जैन संस्कृति परम्परा का मूल राजनैतिक परिणाम को समझने के लिए उन्होंने यह थीसीस तैयार की।
इस थीसीस के दोनों विद्वान परीक्षकों ने अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट में मधुस्मिता श्री जी की यह अभ्यासिका कृति की उच्च गुणवत्ता की प्रशंसा की है, और ऐसे अच्छे शोध के लिए पी० एच० डी० की उपाधि सम्पन्न करने के लिये सराहना की थी।
श्रद्धा है, विश्वास है, कि इस थीसीस को शैक्षणिक विश्व में प्राविकार मिलेगा। साध्वी श्री मधुस्मिता श्री जी को मैं धन्यवाद देता हूं और ऐसी उत्कृष्ट प्रणाली के लिए वंदन करता हूं। २८-६-८६
प्रवीण न. शेठ
(मार्ग दर्शक) प्राध्यापक एवं अध्यक्ष,
राजनीति विज्ञान गुजरात यूनिवर्सिटी
अहमदाबाद