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________________ (८) उपर्युक्त कथन की पुष्टि कौटिल्य के अर्थ-शास्त्र से भी होती है। इसके अतिरिक्त अर्थ-शास्त्र में पिशुन, कौणपदंत, वातव्याधि, घोटमुख, कात्यायन और चारायण आदि राज्य-शास्त्र प्रणेताओं का भी उल्लेख है । दुर्भाग्यवश उपयुक्त ग्रन्थों में से एक भी ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है। ऐसा मालूम होता है कि कुछ ग्रन्थों की सामग्री महाभारत शान्तिपर्व के राजधर्म अध्याय में समाविष्ट हो गई और कुछ कौटिल्य के अर्थ-शास्त्र में। फिर भी कुछ नवीं शती तक उपलब्ध थे, क्योंकि सुरेशवराचार्यकृत “याज्ञवल्क्यस्मृति” की बाल क्रीड़ा टीका में विशालाक्ष का एक श्लोक उद्ध त किया गया है। महाभारत राज्य-शास्त्र का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। उसमें शन्तिपर्व के राजधर्म पर्व के अध्यायों में राजा के कर्तव्यों अधिकारों और शासनव्यवस्था सम्बन्धी अनेक विषयों का विशद वर्णन निहित है। अध्याय ६३. ६४ में राज्य-शास्त्र की महत्ता का वर्णन है। अध्याय ५६, ६६, ६७ में राज्य तथा राजतंत्र की उत्पत्ति पर महत्व स्थापित किया है । अध्याय ५५, ५६, ७०, ७१, ७६, ६४, ६६. १२० में राजा और मंत्रियों के कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्त्व का वर्णन है। अध्याय ६६ में राज्य के सात अंगों का वर्णन किया गया है तथा यह भी बताया गया है कि इन अंगों का यत्नपूर्वक रक्षण करना चाहिए । अध्याय ७१, ७६, ८८, ६७, १२०, १३० इन छ: अध्यायों में कर व्यवस्था का वर्णन किया गया है । स्वराष्ट्र शासनव्यवस्था का संक्षेप में वर्णन अध्याय ८० में निहित है । परराष्ट्रनीति, संधि, विग्रह का वर्णन अध्याय २० ६६, ६८, १००, १०३, ११० और ११३ में है। महाभारत में राजनीति सम्वन्धी अध्ययन पूर्ववर्ती ग्रंथकारों से अधिक विस्तृत एवं स्पष्ट है । इसमें पूर्व ग्रन्थकारों के कुछ सिद्धान्त का समावेश भी है। महाभारत के शान्तिपर्व के राजधर्म अध्याय के अतिरिक्त और भी अध्यायों में राजतंत्र पर विचार किया गया है । सभापर्व के ५ वें अध्याय मे आदर्श राजा का वर्णन निहित है। आदिपर्व के १४वें अध्याय में विशेष परिस्थितियों में राज्य-कारभार में कूटनीति का भी समर्थन किया गया है। १. अल्तेकर : प्राचीन भारतीय शासन पद्धति : प्रयोग, भारतीमंडार, १९५६,पृ० ६.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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