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________________ ( १७६ ) से रोकने के लिए गहरे गड़ढ़े बनाये जायँ, लताजाल एवं कंटीली झाड़ियों का आरोपण किया जाय । (IV) अट्टालक : __ जैन पुराणों में विशाल अट्टालकों का उल्लेख है। प्राकारों में बुर्जी का निर्माण होता था। इन्हें “अट्टालक" कहा गया है । प्रत्येक दिशा के नगर-प्रकार में बुर्ज बनाये जाते थे। इसके बीच की दूरी अधिक होती थी। आचार्य कौटिल्य के अनुसार दो अट्टालकों के बीच की दूरी ३० दण्ड (१२० हाथ) की होती थी। महापुराण में वर्णित है कि अट्टालिकाओं १५ धनुष लम्बी तथा ३० धनुष ऊंची होती थीं, और ३०-३० धनुष के अन्तर से बनी होती थी। यह बहुत चित्रविचित्र ढंग से चित्रित एवं इसमें ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनी होती थीं। ये बहुत ऊंची होती थी, मानो आकाश को छू रही हो। बुर्ज की चोटी पर सैनिक नियुक्त किये जाते थे जिनका कार्य आक्रामक शत्र को देखना तथा उनका संहार करना था। (V) गोपुर : जैन पुराणों में अनेक गोपुरों का वर्णन मिलता है ।' पद्म पुराण के अनुसार उस समय कपड़ों के डेरों में भी गोपुरें बनाई जाती थीं, और उनके दरवाजे पर योद्धा तैनात रहते थे। जैन पुराणों में वर्णित है कि कोट के चारों ओर (चारों दिशा में) एक-एक गोपुर होते थे। अट्टालिकाओं के बीच में एक-एक गोपुर बना होता था। उस पर रत्नों के तोरण लगे हुये १. अर्थशास्त्र अधिकरण २, अध्याय ३, पृ० ७८. २. हरिवंश पुराण ५/२६४, महा० पु० १६/६२. ३. कौटिल्य अर्थशास्त्र २/३ पृ० ७६. ४. त्रिंशदर्ध व दण्डानांगगनस्पृशः । महा पु० १९/६२-६३. ५. रामायण कालीन युद्धकला पृ० १६६. ६. पद्म पु० ३/३१६, ५/१७५, महा पु० ६२/२८, हरिवंश पु० २/६५. ७. पद्म पु० ६३/२८-३४. .. ८. हरिवंश पु० २/६५, महा पु० ६२/२८.
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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