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(१४८) - बाणों में नाग-बाण, तामस-बाण, पद्मबाण, वद्धिबाण, महापुरुषबाण और महारुधिर बाण आदि मुख्य थे । ये बाण अद्भुत तथा शक्तिशाली होते थे। नाग बाण को जब धनुष पर चढ़ाकर छोड़ा जाता था तो वह जलती हई उल्का के दण्डरूप में शत्र के शरीर में प्रवेश कर, नाग बनकर उसे चारों ओर से लपेट लेता था। तामस वाण छोड़ने पर रणभूमि में अन्धकार ही अन्कार व्याप्त हो जाता था। महायुद्ध में महोरग, गरुड़, आग्नेय, वायव्य और शेल आदि अस्त्रों का प्रयोग भी किया जाता था। .... ध्वजा और पताका रणभूमि में बहुत ही उपयोगी होती थी। सैनिक अपने बाणों द्वारा ध्वजा को छिन्न-भिन्न कर देते थे। शत्रु के ाथ में ध्वजा पड़ जाने पर युद्ध का अन्त हो जाता था। पटह और भेरियों का शब्द भी युद्ध के समय होता था, जो योद्धाओं को युद्ध के लिए प्रोत्साहित करता था।
१. जम्बूद्वीप प्राप्ति वक्ष० २, रामायण १/२७/१६ आदि