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(११७) (१) मंत्रि परिषद : सदस्यों की संख्या :.. अमात्यों के बिना राज्यकार्य सम्भव नहीं है, इसलिए अमात्यों की नियुक्ति की जाती है । सभी अमात्यों को मिलाकर मंत्रिमण्डल बनता है। कौटिल्य ने मंत्रियों की सभा को “परिषद", बौद्ध जातकों में “महावस्तु" तथा अशोक के शिलालेखों में “पारिता" वर्णित है।' आधुनिक युग में परिषद को ही मंत्रिमंडल या मंत्रिपरिषद कहते हैं । जैन पुराणों के अनुसार मंत्रिमण्डल के सदस्यों की निम्नतम संख्या चार एवं अधिकतम संख्या सात होती थी। ऐसे राजा के ५०० मंत्री तक होते थे लेकिन मंत्रिमण्डल में मंत्रियों की संख्या सामान्यतः निश्चित होती थी। राजा श्रेषिक के ४६६ मंत्री तथा एक महामंत्री अभयकुमार था इस प्रकार राजा श्रेणिक के मंत्रियों की संख्या ५०० थी। महाभारत में मंत्रियों की संख्या आठ बताई गई है। मनु के अनुसार मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या सात या आठ होनी चाहिए। यशस्तिलक चम्पू में राजा को एक ही मंत्री पर पूर्ण रूप से निर्भर न रहने की बात कही गई है । जिसका मतलब है कि अवश्य ही मंत्रियों की संख्या अधिक रही होगी।' मनु और कौटिल्य इस बात पर सहमत है कि राज्य की आवश्यकतानुसार मंत्रियों की संख्या निश्चित की जानी चाहिए।
- पद्म पुराण में उल्लिखित है कि मंत्रिमण्डल का प्रधान मुख्यमंत्री हाता था इसके अधीनस्थ अन्य मंत्री होते थे। राजा धर्मासन पर बैठकर मंत्रियों के साथ विचारविमर्श करता था।"
१. काशीप्रसाद जायसवाल-हिन्दूरानतंत्र, पृ ११३-११४. २. महा पु० ४/१९०, पद्म पु० ८/४८७. ३. त्रि० श० पु० च० भाग १० १० १०६-११०. ४. महाभारत शान्तिपर्व ३५/११. अष्टानां मंत्रिणा मध्ये मंत्र राजोपधायेत् ॥ ५. मनुस्मृति ७/५४ ६. के०के० हंडीकी : यशस्तिलक एण्ड इण्डियन कल्चर, सोलापुर १९६८ पृ० १०१. ७, मनु ७/६१ ८. अर्थशास्त्र १/१५ पृ० ४४ यथा सामर्थ्यमिति कौटिल्यः . ६. पद्म पु० ७३/२५, तुलनीयः-मनु ७/१४१, महाभारत शान्तिपर्व ८१/२१;
निशीपचूणि ३ पृ० ५७. १०. पद्म पु० १०६/१४६, तुलनीय-माताधर्मकथांगसूत्र १ पृ० ८.