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________________ (१०२) होता है, न कि कामना, वासनाओं की पूर्ति के लिए। जैन मान्यतानुसार राजा को अहिंसापूर्वक प्रजा का संरक्षण करना चाहिए। ___जैन पुराण साहित्य के अनुसार राजा के निम्नलिखित कर्तव्य बताये गये हैं :(१) प्रजा की रक्षा करना :-- प्रजा की बाह्य एवं आन्तरिक राष्ट्र संकटों से रक्षा करना राजा का सर्व प्रमुख कर्तव्य है। जैन पुराणों के अनुसार राजा को पुत्रवत अपनी प्रजा का पालन करना चाहिए। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के अनुसार ऋषभदेव प्रथम राजा हुये हैं। इनसे पूर्व न कोई राजा था और न राज्य । भगवान ऋषभदेव ने राजपद पर आसीन होने के बाद सर्वप्रथम प्रजा की रक्षा हेतु, मत्स्य-न्याय के निवारण के लिए दण्ड की व्यवस्था की थी। प्रजा के जीविकोपार्जन के लिए असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य तथा शिल्प आदि छह कर्मों का उपदेश दिया था। देश में सैनिक दलों की स्थापना की, जिससे देश में शान्ति एवं सुव्यवस्था स्थापित हो सके । प्रजा की सुरक्षा के लिए आचार्य सोमदेव लिखते हैं कि जो राजा शत्रुओं पर पराक्रम नहीं दिखाता वह जीवित ही मृतक के समान है। राजा को प्रजा के कार्यों, प्रजा पालन व दुष्ट-निग्रह आदि का स्वयं ही निरीक्षण करना चाहिए । इन कार्यों को राजकर्मचारियों के ऊपर नहीं छोड़ना चाहिए । प्रजा की रक्षा करना ही राजा का सबसे महान धर्म है। इसके अलावा प्रजा की रक्षा के साथ-साथ प्रजा का सर्वाङ्गीण बिकास करना भी राजा का कर्तव्य है। (२) सामाजिक व्यवस्था की स्थापना: समाज की समुचित व्यवस्था करना राजा का प्रमुख कर्तव्य होता है। जिस देश अथवा समाज के लोग जब अपने-अपने धर्म का पालन नहीं करते तब समाज नष्ट हो जाता है । अतः राजा को वर्णाश्रम की स्थापना १. महाभारत (शान्तिपर्व) ६०/३-४, २. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति वक्ष २. पृ० ११८. ३. नीतिवाण्यामृत से राजनीति .
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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