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________________ (१६) का नामकरण हुआ है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति', वसुदेव हिण्डी', आदि पुराण' में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि ऋषभदेव के पुत्र भरत के देश का नामकरण 'भारतवर्ष' पड़ा है। महापुराण के राजा के अधीन ३२,००० मुकुट बंध राजा होते थे। इसी पुराण में यह भी उल्लिखित है कि राजा विजित राजा को वीरपट्ट बांधते थे । यह एक प्रकार का प्रमाण पत्र होता था जिसे सार्वभौम राजा प्रदान करते थे । नाम से ही प्रस्तुत अनुसार चक्रवर्ती इसके अलावा महापुराण में युद्ध के आधार पर राजाओं के तीन प्रकारों का वर्णन किया गया है : (१) धर्म विजयी, (२) लोभ विजयी, (३) असुर विजयी १. धर्म विजयी : - धर्म विजयी शासक वह है जो किसी राजा पर विजय प्राप्त करके उसके अस्तित्व को नष्ट नहीं करता है, अपितु अपने आधिपत्य में उसकी स्वायत्त सत्ता स्थापित रहने देता है । और उस पर नियत किये हुए करों से वह संतुष्ट रहता है। १. लोभ विजयी : - लोभ विजयी शासक वह होता है जिसे धन और भूमि का लोभ होता है । उसको प्राप्त करने के उपरान्त वह उसको पराधीन नहीं बताता, अपितु उसे अपने आन्तरिक विषयों में पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करता है । (३) श्रसुर विजयी :- असुर विजयी शासक वह है जो केवल धन और पृथ्वी से ही सन्तुष्ट नहीं होता, अपितु वह विजित शासक का वध कर देता है, और उसके स्त्री- बच्चों का भी अपहरण कर लेता है । १. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति पक्ष० ३ २. वसुदेव हिण्डी : प्रथम खण्ड : प्रो० भोगीलाल जयचन्दभाई साडेसरा; जैन आत्मानंद सभा पृ० १८६ ३. महा पु० १५ / १५८ - १५६ ४. महा पु० ६ / १९६ ५. वही ४३ / ३१३ भावनगर
SR No.032350
Book TitleBharatiya Rajniti Jain Puran Sahitya Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhu Smitashreeji
PublisherDurgadevi Nahta Charity Trust
Publication Year1991
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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