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असीम की ओर उड़ान
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पेड़ उड़ रहे थे - क्षितिज - रेखा के उस.पार, असीम आसमान की ओर, धरा से निज-मुखों को मोड़, सीमाएं छोड़, रिश्तों को तोड़, गाते हुए, झूमते हुए, इठलाते हुए: अपनी जड़ों के साथ ! जड़ें वे पुरानी अधोगमन की ओर उन्हें जो ले जाना चाहती थीं! किन्तु, सफल नहीं हुईं वे - नित्य ऊर्ध्व - गगन की प्राप्ति की,
आकाश के प्रति उड़ान की, पेड़ों की छटपटाहट के सामने! . उन्हें भी उड़ना पडा उखड़ कर ऊर्ध्व-दिशा में गगन की ओर !
अनंत को अपज