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पेड़अब वे धरती से उठ चुके हैं, ऊर्ध्व की अनंत यात्रा को चल पड़े हैं, निरंतर उड़ते ही जाते हैं, उड़ते ही जाते हैं - उन्हें न कोई रोक है, न कोई अवरोध - वे उड़ रहे हैं - गाते हुए, झूमते हुए, इठलाते हुए - असीम की ओर !
चेतन की यात्रा
'चल' से 'अचल' अचल से निश्चल कर के अंत में पार 'चलाचल', चलती रहे चेतन की यात्रा, . लोकालोक अंतस् में पलपल। .
मर्मत की अनुगूंज