________________
कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन का प्रधान केन्द्र बना हुआ था। महाराष्ट्र में बम्बई के पास थाना जिले के सोपारा से इसकी पहचान की जाती है।'
हस्तिनापुर (२५६.२२)-भगवान् महावीर विहार करते हुए हस्तिनापुर पहुँचे ।। प्राचीन भारतवर्ष का यह एक प्रतिष्ठित नगर था। पाणिनि ने इसे हस्तिनापुर कहा है। महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन हुआ है। जैनपरम्परा के अनुसार इस नगर की स्थापना आदि तीर्थकंर के पौत्र हस्तिन, ने की थी। वर्तमान में हस्तिनापुर गंगा के दक्षिण तट पर, मेरठ से २२ मील दूर उत्तर-पश्चिम कोण में दिल्ली से ५६ मील दक्षिण-पूर्व खण्डहरों के रूप में वर्तमान है। वर्तमान हस्तिनापुर के आस-पास ही प्राचीन हस्तिनापुर की स्थिति रही होगी।
नगरों के. उपर्युक्त वर्णन से ज्ञात होता है कि उद्द्योतनसूरि को प्राचीन भारत के उन समस्त प्रमुख नगरों की जानकारी थी जो उस समय सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण थे। उन्होंने न केवल अयोध्या, उज्जयिनी, काकन्दी, प्रयाग, प्रभास, वाराणसी, भिन्नमाल, मथुरा, माकन्दी, मिथिला, राजगृह, साकेत, श्रावस्ती, हस्तिनापुर आदि धार्मिक नगरों तथा कांची, कोशाम्बी, चम्पा, जयश्री, तक्षशिला, द्वारका, घनकपुरी, पाटलिपुत्र, प्रतिष्ठान, भरुकच्छ, लंकापुरी, विजयानगरी, श्रीतुंगा एवं सोपारक आदि व्यापारिक केन्द्रों का परिचय दिया है, अपितु इन समस्त नगरों के आवागमन के मार्गों का निर्देश किया है। इस सम्बन्ध में आगे आर्थिक-जीवन नामक अध्याय में विशेष अध्ययन प्रस्तुत किया जायेगा।
१. जाम, कुव० क० स्टडी, पृ० १४१. २. भगवं महावोरणाहो विहरमाणो पुणो संपत्तो हत्थिणाउरं णाम णयरं,
२५६.२१. ३, अ०-पा० भा०, पृ० ८६. ४ म० भा०-आदिपर्व, अध्याय ३, पंक्ति ३७. ५. विविधतीर्थकल्प, सिंधी जैन ग्रन्थमाला, हस्तिनापुर कल्प, पृ० २७. ६. शा०-आ० भा०, पृ० ९४.