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कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन
कासकुसुमेहिं (२३८.३) = कास का फूल कुड्डालिहिया (१३८.२) - भीत पर लिखित कुहिणीमग्गे (५४.१२) = । रथ्या, मुहल्ला केयरो (१३०.२७)
टेढ़े अंग वाला केस टमरइं (७२.३५) = केशसमूह कोडलं (४५.१५)
कान का कुण्डल, व्यंतरदेव का नाम कोटि (४६.१८)
शस्त्रविशेष कोट्ठय-कोणाओ (४७.१५) = कोठे का कोना खदुआ-मोत्थय (४१.१९) = नागरमोथा खुड्ड (६.७)
क्षुद्र, अधम खलु (६.६)
दुर्जन, खल खल्लुवकत्तण (४१.३१) = खाल निकालना खलो (६.६)
पशुओं का खाद्य, खली खोरं (१७१.१९)
नृत्य का कोई पात्र, गली खोरमंडलीओ (७.३०)
नटों की मंडली खोहिविजहि (१०१.१४) = विचलित करना गप्पडिया (४४.३३)
गर्भ में पड़ा हुआ गयघडाहिं (१६६.९) = हाथी का समूह गामकोडीसो (२८४.३) = करोड़ ग्राम गामिल्लयो (२५०.३५) = गंवार गाम-चडय (११३.७)
गाँव के गौरैया पक्षी गाम-वोद्रह (५२.४) = गाँव के तरुण गुडिया (१६६.९)
हाथी का कवच, पलान उतारना गुंडियो (११३.१०) = लिप्त गुडेसु तुरंगमा (१३५.२४) = पलान कस दिया गुलेगुलेंताओ (१८.२४) = हाथी की आवाज में हर्ष से बोलना गुणण-धणीओ (८२.३३) = आवृत्ति करने की ध्वनि गोंदी (३२-३३)
मंजरी, बौर गोज्जा (४२.१५)
गवैया गोलए (१५४.१)
गोलक गोसेच्चिय (४८.२) = । प्रातःकाल ही