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________________ शब्द-सम्पत्ति २६३ अफ्फोडेंति (१३२.२५) अयंडे (१५४.९) आडित्तिया (६५.१४) आढत्तं (४७.४) आमणं (१०५.१६) आलाणखंभो (१५४१०) आलप्पालं (४७.४) आलबहं (४३.३३) अल्लियउ (८६.३२) अल्लीणाप्रो (१०१.१०) = प्रारोट्ट (१५१.१८) ओलग्गिउ (५०.२६) ओक्खंदं (९९.१६) = अोमालिओ (२५.२८) = ओयंच्छिय-वयणा (१५६.२७) - इब्भकुमारिया (७.२७) = इट्ठाणुग्घट्ठ-मट्टोरू (१५१) = उक्कुट्टि (१३२.२५) उदंड-पोंडरीय (१०.५) कंडूल (६.२०) कच्छउड (८.१) कंदुग्धुसिय (३५.५) कंदुय रमिरी (२३३.१ कडिल्लयं (८१.२२) कण्णुं (५७.१६) कण्णुं-णरिंद (१६.२६) करकं (२२५.२२) कलुण-चीरि (११३.२३) = कसा (१३९.९) कणिसवाया (१५३.१५) = कालवट्टाई (१३५.१२) = ताली बजाना अकस्मात् शिविका-वाहक पुरुष, आढ़तिया आक्रान्त,आरब्ध,प्रारम्भ किया हुआ दुकान हाथी बांधने का स्तम्भ आकथनीय कलंक संभाषण समीप में आना आलिंगन करना अराष्टक, अरोट, अरोड़ा सेवा करना, किसी के अधीन रहना शत्रु सेना द्वारा नगर का घेरा पूजित तेजस्वी वचन वणिकपुत्री गुरुप्रायश्चित्त उत्कर्ष करना प्रचंड राजा खाजवाला पार्श्वभाग (?) गेंद में रमी हुई कटि-वस्त्र, अटवी, प्रतिहार कर्णोत्पल, कान का आभूषण राजा कर्ण शव करुण, दीन, कीट-विशेष (झींगुर) चाबुक धान्य का अग्रभाग कर्ण का धनुष
SR No.032282
Book TitleKuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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