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भाषाएँ तथा बोलियाँ
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गंगा में यदि नहाओ तो मित्र-द्रोह नामक पाप घुल सकता है-धवल-वाहणघवल-देहस्स सिरे भ्रमिति जा विमल जल। धवलुज्जल सा भडारी। यति गंग प्रावेसि तुहुं। मित्र-द्रोझ तो णाम सुज्झति (६३.१५) ।
ऐसा कहने पर सबने कहा- 'अहो बहुत सुन्दर कहा। अग्नि में प्रवेश करने का निश्चय छोडकर तुम गंगा जाओ वहाँ नहाकर अनशन पूर्वक मरोगे तो तुम्हारा पाप शुद्ध हो जायेगा।' ऐसा कहकर ग्राममहत्तरों की सभी विजित हो गयी-विसज्जिो गाम-महयरेहिं (६३. २८) । मायादित्य गंगा स्नान के लिए चल पड़ा।
इस वार्तालाप में द्रंग, ग्राममहत्तर आदि शब्दों का राजनैतिक महत्त्व है। दंग उस गाँव को कहा जाता था, जहाँ गुर्जर रहते थे। डा० उपाध्ये ने अपनी काश्मीर-यात्रा में वहाँ के एक व्यक्ति से 'दंग' का प्रयोग इसी अर्थ में करते सुना था।' डा. अग्रवाल ने द्रंग का अर्थ 'रक्षा-चौकी' किया है, जिसका राजतंरगिणी में अनेक बार उल्लेख हुआ है और जो उत्तर-पश्चिम भारत में प्रसिद्ध प्रशासनिक संस्था थी। उद्योतन द्वारा उल्लेख करने से राजस्थान में भी उसके अस्तित्व का पता चलता है । महामहत्तर द्रंग के अधिकारी होते थे।३
प्रस्तूत वार्तालाप का भाषा-वैज्ञानिक अध्ययन ए० मास्टर ने अपने एक लेख में किया है।४ शब्दों के प्रयोग से इस वार्तालाप की भाषा किसी एक भाषा से सम्वन्धित नहीं है, अपितु अपभ्रंश एवं प्राकृत का मिश्रित रूप है । ग्राममहत्तरों के मुख से कहलाने के लिए इसमें भाषागत नियमों का अभाव है, जिससे यह ग्रामीण बोलो जैसी प्रतीत होती है।
पिशाचों की बातचीत (७१.९-२५)
लोभदेव इधर-उधर भटकता हुआ जब किसी समुद्रतट पर पहँचा तो एक वटवृक्ष के नीचे लेट गया। वहाँ उसने वृक्ष पर बैठे हुए पिशाचों की बातचीत सुनी। उद्द्योतन ने यह पूरी बातचीत पैशाची भाषा में प्रस्तुत की है। इसका स्वरूप निश्चित है, अतः यहाँ मूल उद्धरण देना उपयुक्त नहीं है। इस सम्पूर्ण पैशाची वार्तालाप का अध्ययन ए० मास्टर ने किया है। जिसमें प्रभत सामग्री उन्होंने प्रस्तुत की है । यद्यपि यत्र-तत्र किंचित् सुधार की भी आवश्यकता
१. He told me in broken Hindi that it was the 'Dranga' mean_ing village of Gujaras. -Kuv. Int. p. 137. R. A cultural note, Kuv. Int. p. 117. ३. S. RTA. p. 354-55. ४. BSOAS, 13, Part II, p. 410. ५. A. Master : BSOAS XII 3.4 P. 659.