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सम्राट चन्द्रगुप्त का उपनाम । अन्य फुटकर ग्रन्थ-भरत-भरतशास्त्र, विशाखिल-युद्धशास्त्र, बंगालऋषि-बंगाल-जातक. मनु-मनुस्मृति, मार्कण्डेय-उनका पुराण एवं चाणक्य-अर्थशास्त्र । योनिपाहुण, गीता, गायत्री, कनकशास्त्र, कामशास्त्र, समुद्रशास्त्र, तंन्त्राख्यान, नीतिशास्त्र, धम्मिलहिण्डी, वसुदेवहिण्डी एवं आचारांग आदि ग्यारह आगम-ग्रन्थ । प्राचीन ग्रन्थों के उद्धृत अंश-१७ नीति-वाक्य एवं २६ सूक्तियाँ । सज्जन-दुर्जन वर्णन का वैशिष्ट्य एवं परम्परा । ऐतिहासिक राजाओं के सन्दर्भ-अवन्ति, चन्द्रगुप्त, तोरमाण, देवगुप्त, भरत, वोप्पराज, श्रीवत्सराज रणहस्तिन् आदि २७ राजाओं के उल्लेख । अवन्ति की यशोवर्मन् के उत्तराधिकारी अवन्तिवर्मन् ( आम ) से पहिचान, तोरमाण, देवगुप्त एवं हरिगुप्त की पहिचान। उद्योतनसूरि के
समकालीन श्रीवत्सराज रणहस्तिन् । अध्याय दो :: भौगोलिक विवरण परिच्छेद १. भारतीय जनपद ( ५१-६१)
२४ जनपदों का उल्लेख --अन्तर्वेद, आन्ध्र, अवन्ति, कर्णाटक, कन्नौज, काशी, गुर्जरदेश, गोल, ढक्क, पूर्वदेश, मगध, मध्यदेश, महाराष्ट्र, महिलाराज्य, मालव, लाट, वत्स विदेह, श्रीकंठ, सिन्ध, सौराष्ट्र एवं
उत्तरापथ आदि। परिच्छेद २. नगर ( ६२-७४ )
४४ प्राचीन नगरों का उल्लेख-अरुणाभपुर, अलका, अयोध्या ( विनीता ), उज्जयिनी, काकन्दी, कांची, कोशाम्बी, चम्पा, जयन्तीपुरो, जयश्री, तक्षशिला, द्वारिकापुरी, धनकपुरी, पद्मनगर, पर्वतिका, पाटलिपुत्र, प्रयाग, प्रभास, प्रतिष्ठान, भरुकच्छ, भिन्नमाल, मथुरा, माकन्दी, मिथिला, रत्नापुरी, राजगृह, ऋषभपुर, लंकानगरी, वाराणसी, विजयानगरी, विन्ध्यपुर, विन्ध्यवास, सरलपुर, साकेत,
श्रावस्ती, श्रीतुंगा, सोपारक, हस्तिनापुर आदि । परिच्छेद ३. ग्राम, वन एवं पर्वत ( ७५-८४ )
उच्चस्थल, कूपपन्द्र, नन्दीपुर, रगणा सन्निवेश, पंचत्तियग्राम एवं सालिग्राम। जातिविशेष के ग्राम-पल्लियाँ। चिन्तामणिपल्लि एवं म्लेच्छपल्लिके वर्णन द्वारा विशिष्ट ग्रामों का परिचय । वन एवं पर्वतकोसंबवन, त्रिकूट शैल, त्रिदशगिरिवर, नन्दनवन, मलय पर्वत, मेरु पर्वत, रोहण पर्वत, विन्ध्यगिरिवर, वेताढ्य, शत्रुजय, संवलीवन, सम्मेदशल, सह्य पर्वत, हिमवंत आदि। अटवी एवं नदियाँ-देवाटवी, महाविन्ध्याटवी का पारम्परिक वर्णन ।