________________ 280 योगबिंदु को भी प्राप्त करती है। अगर आत्मा को एकान्त कूटस्थ नित्य माने तो उसका संसार और मोक्ष का जो मुख्यभेद है वह कैसे घटित होगा? अर्थात् एक ही स्वरूप और स्वभाव वाली आत्मा संसार के स्वरूप को छोड़कर मोक्ष के स्वरूप को कैसे पायेगी ? अगर वह मोक्ष स्वरूप को पा लेती है, तो तुम्हारा नित्यत्व भंग हो जाता है // 483 / / स्वभावापगमे यस्माद् व्यक्तैव परिणामिता / तयाऽनुपगमे त्वस्य, रूपमेकं सदैव हि // 484 // अर्थ : यह (कूटस्थ नित्य आत्मा) सर्वदा एक ही स्वभाववाली होने से या तो संसारी सिद्ध होगी या मोक्षस्वभावी सिद्ध होगी क्योंकि भव और मुक्ति दोनों एक साथ नहीं घटित होता // 484|| विवेचन : अगर तुम वेदान्ती आत्मा को एकान्त कूटस्थनित्य मानो तो उसका पुनः पुनः संसार भ्रमण करने का एक स्वरूप कायम रहेगा, या फिर नित्यमुक्तित्व स्वभाव रहेगा / वस्तुतः तो एक ही स्वभाव मानने पर आत्मा का संसारभाव भी घटित होता नहीं, क्योंकि संसार में भी वह नाना स्वरूप स्वभावों को धारण करती है / चौरासी लाख जीव योनि में विविध परिणामों को धारण करती है / इस प्रकार नित्य एकस्वभावी आत्मा का संसारी स्वभाव और मोक्ष - संसारभाव का त्याग करके, मोक्ष स्वरूप को पाने का स्वभाव भी घटित नहीं होता परन्तु आत्मा को परिणामी स्वभाववाला मानने से सब घटित हो जाता है // 484 / / तत् पुनर्भाविकं वा स्यादापवर्गिकमेव वा / आकालमेकमेतद्धि, भवमुक्ती न सङ्गते // 485 // अर्थ : विचित्र कार्यों से विचित्र बंध और विचित्र बंध से भव-संसार सिद्ध है। परन्तु उस (आत्मा) को एकान्त एकस्वभावी मानने पर तो यह (विचित्रबंध) भी नहीं घटित होता // 485 / / विवेचन : आत्मा मन, वचन, काया के योगों से विचित्र प्रकार के अध्यवसायों द्वारा ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीयादि विचित्रकर्मों को बांधती है और जब-जैसे विचित्र कर्मों का उदयकाल उपस्थित होता है, नये-नये विचित्र जन्म मरण को पाकर, संसार में आधि-व्याधि और उपाधिमय विचित्र दुःखों को क्लेशों को भोगता है। इस प्रकार आत्मा को परिणामी मानने से सब घटित हो जाता है / परन्तु यदि आत्मा को एकान्त नित्य, एक स्वभाव वाला मानो तो ऐसी आत्मा द्वारा, कभी भी विचित्र कर्म बंध संभव नहीं / क्योंकि कहा है : विचित्रकारणात् विचित्रकार्योत्पत्तिर्भवति न ह्यचित्रात कारणाच्चित्र कार्य प्रसूतिरति / कारण विचित्र हो तो कार्य में विचित्रता होती है, अगर कारण विचित्र न हो तो कार्य में