________________ योगबिंदु 251 विवेचन : जलाकर भस्म कर देने की जो अग्नि की सहजशक्ति है उसको रोकने वाले मंत्र, तंत्र, जलकान्त या चन्द्रकान्तमणि आदि प्रतिबंध कारण अगर बीच में नहीं हो, वैसी अग्नि अपना सहज कार्य-जलाने का कार्य किये बिना कैसे रह सकती है ? अर्थात् वह जरुर अपना कार्य - जलाने का कार्य करेगी ही। उसी प्रकार आत्मा की सहज ज्ञानशक्ति को ढक देने वाले कर्मों के आवरणरूप प्रतिबंधक कारण जब नहीं होते, तब वह आत्मा अपनी सहज ज्ञानशक्ति रूप कार्य को किये बिना कैसे रह सकती है ? अर्थात् जब सभी आवरणों का नाश हो जाता है, तब स्वपरप्रकाशक आत्मा ज्ञेयपदार्थों से अज्ञात कैसे रह सकती है ? अर्थात् नहीं रह सकती / जैसे बिना प्रतिबंध के अग्नि प्रकाशमान होती है वैसे ही प्रतिबंध के बिना आत्मा भी सर्व पदार्थों को - उनके गुणपर्यायों को भूत-भावी-वर्तमान काल में साक्षात देखता हैं // 432 / / न देशविप्रकर्षोऽस्य, यज्यते प्रतिबन्धकः / तथानुभवसिद्धत्वादग्नेरिव सुनीतितः // 433 // अर्थ : अग्नि की भांति देश और काल की दूरी इसकी (केवलज्ञान की) प्रतिबंधक नहीं हो सकती, यह अनुभव सिद्ध न्याय है // 433 // विवेचन : यह केवलज्ञान सर्वघातीकर्म रूप प्रतिबंधक कारणों के नाश होने से प्रकट होता है। उसमें क्षेत्र, काल, भाव और द्रव्य की दूरी प्रतिबंधक - रुकावट डालने वाली नहीं हो सकती। स्वर्ग, पाताल, द्वीप, समुद्र आदि पदार्थों को जानने के लिये किसी भी प्रकार का प्रतिबंध-अन्तराय, रुकावट नहीं आती / क्योंकि केवलज्ञान की प्राप्ति होने पर सर्व आवरणों का सर्वथा नाश हो चुका है / इसलिये सूक्ष्म से सूक्ष्म अणु से लेकर महान् से महान् सभी पदार्थों के भूत, भावी, वर्तमान कालीन द्रव्यों के गुण-पर्यायों को वह जानता है, देखता है / ऐसी ज्ञान की शक्ति है / बाह्य आभ्यन्तरिक कोई प्रतिबंध भी बीच में नहीं आता / ऐसा स्व अनुभव अथवा स्व-संवेदनरूप ज्ञान से सिद्ध है। जैसे अग्नि के प्रतिबंधक कारणों के हटा देने पर अग्नि जलाती ही है, यह सुन्याय है। अग्नि में तो देशकाल आदि की दूरी भी प्रतिबंधक है परन्तु केवलज्ञान में तो कोई भी आवरण देश का, काल का, द्रव्य का प्रतिबंधक नहीं हो सकता // 433 // अगर ऐसा है तो अग्नि का दृष्टान्त केवलज्ञान के साथ कैसे घट सकता है? उसी का समाधान करते हैं कि - अंशतस्त्वेष दृष्टान्तो, धर्ममात्रत्वदर्शकः / अदाह्यादहनाद्येवमत एव न बाधकम् // 434 // अर्थ : यह दृष्टान्त तो धर्ममात्र को अंश से दिखाने वाला है / इसलिये अदाह्य पदार्थों को न जलाने से यह (दृष्टान्त) बाधक नहीं है // 434||