________________ योगबिंदु 233 एवं विचित्रमध्यात्ममेतदन्वर्थयोगतः / आत्मन्यधीति संवृत्ते यमध्यात्मचिन्तकैः // 404 // अर्थ : अध्यात्म चिन्तकों ने इस प्रकार अन्वर्थ योग से, आत्मा में अध्यात्मवृत्ति पैदा करने वाले अध्यात्म योग को अनेक प्रकार का बताया है // 404 / / विवेचन : अध्यात्म शब्द का विग्रह करने से - सन्धि तोड़ने से उनके अन्दर रहे हुये अर्थ का विचार करने से अनेक अर्थों का अनुभव होता है जैसे "आत्मनि जीवे, अधि इति आधारभूते" अर्थात् आत्मा में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, वीर्य, उपयोग और तप आदि गुणधर्म रहे हुये हैं; वह आत्मा अधिष्ठान करने वाला होने से, गुणों का आधार हुआ, इसलिये उन गुणों का विचार करना 'अध्यात्म' हुआ। इसी प्रकार "संवृत्तेः सांगत्येन वर्तनात्" अर्थात् आत्मा के साथ रहने वाले, आत्मा के साथ अभिन्नभाव से रहने वाले, आत्मा के साथ यावत् भावी रहने वाले, गुण-धर्मों और स्वभावों की मीमांसा करना, विचारणा करना भी अध्यात्म ही हुआ / इस प्रकार इस अध्यात्म शब्द का अन्वय अर्थ करने से आत्मा में अध्यात्मभाव को पैदा करने वाले उस अध्यात्मयोग को भाव योगियों ने अनेक प्रकार का बताया है // 404 // भावनादित्रयाभ्यासाद्, वर्णितो वृत्तिसंक्षयः / स चात्मकर्मसंयोगयोग्यतापगमोऽर्थतः // 405 // अर्थ : भावनादि तीनों के अभ्यास से, आत्मा और कर्म के संयोग सम्बंध की योग्यता का नाश होना ही वस्तुतः वृत्तिसंक्षय है // 405 / / / विवेचन : उपर ग्रंथकार ने अध्यात्म और वृत्तिसंक्षय - योग के इन दो भेदों को विशेष विस्तार से बताने को कहा था। अध्यात्मयोग को विस्तृत बताकर, अब योग के पांचवें भेद वृत्तिसंक्षय को बता रहे हैं कि भावना, ध्यान और समता का अभ्यास जब अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है, तब मन की संपूर्ण चंचल वृत्तियों का नाश हो जाता है / यानि आत्मा का कर्मों के साथ जो अनादि कालीन संयोग सम्बंध था, उसकी योग्यता का सर्वथा नाश हो जाता है / वृत्तिसंक्षय का अर्थ ही यही है कि मन की सर्व वृत्तियों का सम्यक्य होना / वृत्तिसंक्षय होने के पश्चात् आत्मा सर्व कर्मों से मुक्त होकर, सिद्ध बुद्ध हो जाती है // 405 / / स्थूलसूक्ष्मा यतश्चेष्टा आत्मनो वृत्तयो मताः / अन्यसंयोगजाश्चैता योग्यता बीजमस्य तु // 406 // अर्थ : आत्मा की स्थूल और सूक्ष्म चेष्टाओं को वृत्तियाँ कहते हैं / वे चेष्टारूप (वृत्तियाँ) अन्य कर्मों के संयोग से पैदा होती हैं और इसका (कर्मसंयोग का) मुख्य हेतु योग्यता है // 406 //