________________ 145 योगबिंदु तत्कारी स्यात् स नियमात् तद् द्वेषी चेति यो जडः / आगमार्थे तमुल्लङ्घ्य, तत एव प्रवर्त्तते // 240 // अर्थ : जो मूर्ख आगम के अर्थों का उल्लघन करके स्वच्छंदता से वर्तन करता है, वह निश्चय पूर्वक मोक्ष सम्बंधी क्रिया करने पर भी उसका (आगम का) द्वेषी है। अथवा वह क्रिया तो निश्चित ही मोक्ष के लिये करता है परन्तु वह मोक्षमार्ग का द्वेषी है क्योंकि आगमार्थों का उल्लंघन करके, वह जड़मति स्वच्छन्दता से वर्तन करता है // 240 // विवेचन : स्वच्छन्दी व्यक्ति क्रिया तो निश्चित ही मोक्ष के लिये वैसी ही करता है; बाहर से वह अपने आप को दिखाता है कि वह आगमानुसार ही क्रिया करता है; परन्तु वह मूर्ख वास्तविक रूप से आगमों का अनुसरण नहीं करता, क्योंकि क्रिया वैसी करने पर भी उसके हृदय के अन्दर जो श्रद्धाभाव, आदर बहुमान होना चाहिये वह नहीं होता / उसकी क्रिया कदाग्रह पूर्वक, द्वेषपूर्ण होती है, इसलिये हृदय शुद्धि जो होनी चाहिये वह नहीं होती / इस प्रकार वह आगम के अर्थों का उल्लंघन करता है। इसलिये उसे परमात्मा की भक्ति करने वाला भक्त न कहकर, द्वेषी कहा है / कहने का तात्पर्य यह है कि जो आगमविहित विधि-निषेधों का अनादर करके, स्वच्छन्दता से प्रवृत्ति करता है वह शास्त्रद्वेषी है, मूर्ख है // 240 // न च सद्योगभव्यस्य, वृत्तिरेवंविधाऽपि हि / न जात्वजात्यधर्मान् यज्जात्यः सन् भजते शिखी // 241 // अर्थ : सद्योग के योग्य भव्यात्मा को इस प्रकार की वृत्ति ही नहीं होती / जातिवंत मयूर कभी भी नीच के योग्य धर्म का सेवन नहीं करता // 24 // विवेचन : जो भव्यात्मा परिशुद्ध योग का अधिकारी है, उसे ऐसी वृत्ति अर्थात् जिस धर्म क्रिया में द्वेष, खेद, मद, अश्रद्धा, लोगों को ठगने की वृत्ति अपने आप को उत्कृष्ट बताने की वृत्ति रहती है वह नहीं होती / उनकी धर्मक्रिया तो मन, वचन और काया से शुद्ध होती है / ज्ञान और श्रद्धा विवेक से युक्त होती है / सद्गुरुओं के प्रति, धर्मशास्त्रों के प्रति, सद्गुणियों के प्रति दिल में अगाध प्रेम, श्रद्धा और सद्भाव होता है / यह उनका जातीय स्वभाव है। इसे छोड़कर, उसे अन्य प्रकार की वृत्ति ही नहीं होती / जैसे जातिवाद संस्कार-सभर मयूर अपने जातीय उच्च स्वभाव को छोड़कर, कभी भी अजातीय नीच स्वभाव को ग्रहण नहीं करता / वह अपने उच्च जातीय स्वभाव के अनुसार ही प्रवृत्ति करता है। मयूर जातिवंत पक्षी माना गया है इसीलिये भव्यात्मा के साथ उसकी उपमा दी गई है।