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नहीं, मैं नहीं चला रहा वही चला रहा है। जब तक उसकी मर्जी, चलाये। जैसे उसकी मर्जी, चलाये। जैसा मेरा उपयोग करना हो, कर ले।
इसलिए निश्चित हूं। इसलिए जो होता, ठीक; जो नहीं होता वह भी ठीक। उसका कोई हिसाब भी नहीं रखता हूं।
तुम्हीं बयार बन पाल भरो
तुम्हीं पहुंचे फडूफड़ाओ
लटों में छन-छन अंग - अंग सहते
तुम्हीं धार पर संतार दो
मैंने तो प्रभु से कह दिया, अब तुम्हीं बयार बन पाल भरो। तुम्हीं पहुंचे फड़फड़ाओ और लटों में छन-छन अंग-अंग सहते । और तुम्हीं धार पर संतार दो। और मुझे क्षमा करो। जो करना हो करो । मेरा जो उपयोग करना हो करो।
निमित्त मात्र ! इससे ज्यादा आदमी न रहे। इससे ज्यादा आदमी न रहे तो बहुत होता है, बिना किये होता है। और जहां तुम करने वाले हुए वहां कित्मा ही करो, कुछ भी नहीं होता । सब क्षुद्र रह जाता है। मनुष्य के हस्ताक्षर कभी भी विराट नहीं हो पाते, छोटे ही रह जाते हैं। उनकी सीमा है। और जिस दिन से मैंने ऐसा जाना कि तुम अपने को छोड़ सकते हो, प्रभु सब करता है, उस
दिन से जीवन में एक अलग ही रस आ गया।
फूल की रेशमी - रेशमी छाहें
आज हैं केसर रंग रंगे वन
उसी दिन से दिखाई पड़ने लगा कि सब तरफ छाया है।
फूल की रेशमी - रेशमी छांहें।
कोई धूप नहीं, कोई पीड़ा नहीं, कोई श्रम नहीं ।
आज हैं केसर रंग रंगे वन
उसी दिन से सारा जगत केसर में रंग गया। उसी दिन से तो तुम्हें केसरिया रंग में रंगना शुरू कर दिया।
आज हैं केसर रँग रंगे वन
नहीं, मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूं। जो हो रहा है, हो रहा है। जैसे तुम देख रहे हो वैसे ही मैं भी देख रहा हूं। मेरा तो उसूल छोटा-सा है—
बांस के कुंज में बैठो और चाय पीयो
जैसे चीन के पुराने संत जीते थे वैसे निश्चित जीयो
देवता की राह हिंसा नहीं है, अहिंसा की राह है
वे इंद्रियों से लड़ते नहीं, पुचकारकर उन्हें पास बुलाते हैं। देवता के पास पीपल की छाया होती है