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वे छाह में इंद्रियों को प्रेम से सुलाते हैं लेकिन प्रेत कहता है, जीवन से युद्ध करो मारो, मारो, इंद्रियों को मारो और अपने को शद्ध करो मैं कहता हूं बांस के कुंज में बैठो और चाय पीयो जैसे चीन के पुराने संत जीते थे वैसे निश्चित जीयो।
हिंसा नहीं। आक्रमण नहीं। कुछ करने की योजना में हिंसा है, आक्रमण है। अब आक्रमण छोड़ो। अनाक्रमक। कुछ करने का भाव ही छोड़ो। अहंकार के लिए कुछ करने को नहीं है। जहां अहंकार आया, हिंसा आई। न तो संसार से लड़ों न अपने से लड़ो।
बांस के कुंज में बैठो और चाय पीयो जैसे चीन के पुराने संत जीते थे वैसे निश्चित जीयो।
आज इतना ही।