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जो परमात्मा नहीं कर सका, उसे तुम कर सकोगे - यह अहंकार छोड़ो। जो हो सकता था, हो गया है। जो परमात्मा के लिए संभव था, वह घट गया है। तुम जीना शुरू करो, टालो मत।
परम अध्यात्म की घोषणा यही है कि उत्सव की घड़ी मौजूद है, तुम तैयारी मत करो। एक तैयारी करने वाला चित्त है जो उत्सव में कभी सम्मिलित नहीं होता, सदा तैयारी करता है. यह तैयार कर लूं वह तैयार कर लूं वह हमेशा टाइम-टेबल देखता रहता है; कभी ट्रेन पर सवार नहीं होता। ट्रेन सामने भी खड़ी हो तो वह टाइम-टेबल में उलझा होता है। वह सदा बिस्तर बांधता है, लेकिन कभी यात्रा पर जाता नहीं। वह सदा मकान बनाता है, लेकिन कभी उसमें रहता नहीं। वह धन कमाता है, लेकिन धन को कभी भोगता नहीं। बस वह तैयारी करता है।
तुम ऐसे तैयारी करने वाले करोड़ों लोगों को चारों तरफ देखोगे वही हैं, उन्हीं की भीड़ है। वे सब तैयारी कर रहे हैं। वे कह रहे हैं, कल भोगेंगे, परसों भोगेंगे। इनमें सांसारिक भी हैं, इनमें आध्यात्मिक जिनको तुम कहते हो वे भी सम्मिलित हैं- तुम्हारे तथाकथित साधु-संत और महात्मा। वे कहते हैं यहां क्या रखा है, स्वर्ग में भोगेंगे ! उनका कल और भी आगे है : मरने के बाद भोगेंगे यहां क्या रखा है! यहां तो सब क्षणभंगुर! यहां तो सिर्फ पीड़ित होना है, परेशान होना है और कल की तैयारी करनी है।
लेकिन तुमने देखा, कल कभी आता नहीं! कल कभी आया ही नहीं। इसलिए मैं तुमसे कहता हूं : स्वर्ग कभी आता नहीं, कभी आया ही नहीं। स्वर्ग तो कल का विस्तार है। कल ही नहीं आता, स्वर्ग कैसे आएगा?
जिस आदमी ने कल में अपने स्वर्ग को देखा है, उसका आज नर्क होगा- बस इतना पक्का है। कल तो आएगा नहीं। और जब भी कल आएगा आज होकर आएगा। और अगर तुमने यह गलत आदत सीख ली कि तुम कल में ही नजर लगाए रहे तो तुम आज को सदा चूकते जाओगे। और जब भी आएगा आज आएगा; जो भी आएगा आज की तरह आएगा । और तुम्हारी आंखें कल पर लगी रहेंगी। कल कभी आता नहीं। ऐसे तुम वंचित हो जाओगे। ऐसे तुम, जो मिला था उसे न भोग पाओगे। जो हाथ में रखा था उसे न देख पाओगे। जो मौजूद था, जो नृत्य-गीत चल ही रहा था, उसमें तुम सम्मिलित न हो पाओगे।
अध्यात्म की आत्यंतिक घोषणा यही है कि समय के जाल में मत पड़ो। समय है मन का जाल । अस्तित्व मौजूद है-उतरो, छलांग लो! तैयारी सदा से पूरी है, सिर्फ तुम्हारी प्रतीक्षा है। तुम नाचो! तुम यह मत कहो कि कल नाचेंगे, और तुम यह मत कहो कि आयन टेढ़ा है, नाचे कैसे? जिसे नाचना आता है, वह टेढ़े आंगन में भी नाच लेता है। और जिसे नाचना नहीं आता, अपान कितना ही सीधा, चौकोर हो जाए तो भी नाच न पाएगा।
मुल्ला नसरुद्दीन की आंखें खराब हो गई थीं, तो वह इलाज कराने गया। डॉक्टर से पूछने लगा कि क्या मेरी आंखों के आपरेशन के बाद मैं पढ़ने में समर्थ हो जाऊंगा? डॉक्टर ने कहा, निश्चित। यह जाली है, इसे हम काट देंगे आंख से, तुम पढ़ने में समर्थ हो जाओगे ।